सीएनएन  सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : इंदौर के शासकीय कैंसर अस्पताल के मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर आई है। 20 साल बाद अस्पताल को लीनियर एक्सीलरेटर मशीन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस मशीन की खरीद के लिए टेंडर फाइनल कर दिया है। यह मशीन पीजी अपग्रेडेशन प्रोजेक्ट के तहत प्राप्त होगी, और इसकी लागत लगभग 30 करोड़ रुपये है। इस मशीन का लाभ इंदौर के साथ-साथ भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा के मेडिकल कॉलेजों को भी मिलेगा।

बंकर निर्माण की चुनौती:

हालांकि, इस नई मशीन के लिए एक चुनौती सामने आई है। नई मशीन को स्थापित करने के लिए बंकर का निर्माण अभी बाकी है। वर्तमान में अस्पताल के पास एक नई बिल्डिंग बनाई जा रही है, जिसमें बंकर भी स्थापित किया जाएगा। डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि बंकर का निर्माण पहले किया जाए ताकि मशीन की खरीद में कोई रुकावट न आए।

डॉ. ओपी गुर्जर, उप अधीक्षक, कैंसर हॉस्पिटल ने कहा, “हम निर्माण एजेंसी के संपर्क में हैं और उन्हें बताया है कि पहले बंकर बना दिया जाए ताकि लीनियर एक्सीलरेटर के इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।”

कोबाल्ट से लीनियर एक्सीलरेटर की ओर:

वर्तमान में, कैंसर हॉस्पिटल में कोबाल्ट मशीन से मरीजों को रेडिएशन दिया जा रहा है, जिसमें स्वस्थ कोशिकाएं भी प्रभावित होने का खतरा रहता है। जबकि लीनियर एक्सीलरेटर मशीन केवल कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करती है।

डॉ. गुर्जर के अनुसार, “कोबाल्ट थैरेपी से 2D प्लानिंग द्वारा ट्रीटमेंट किया जाता है, जबकि लीनियर एक्सीलरेटर से थ्री डाइमेंशनल ट्रीटमेंट संभव है।”

मरीजों की संख्या में वृद्धि:

लीनियर एक्सीलरेटर स्थापित होने के बाद अस्पताल में रोजाना 115 से 120 मरीजों को इलाज मिल सकेगा। निजी अस्पतालों में लीनियर एक्सीलरेटर से इलाज का खर्च 70,000 से 1,70,000 रुपये तक होता है, जबकि शासकीय कैंसर चिकित्सालय में यह सभी मरीजों के लिए फ्री रहेगा।

शासकीय कैंसर चिकित्सालय में वर्तमान में 105 बेड हैं, जहां औसतन 3500 मरीजों का इलाज किया जाता है। नए कैंसर अस्पताल में मरीजों की संख्या 3 से 4 गुना बढ़ने की संभावना है।

रेडिएशन सुरक्षा:

बंकर का निर्माण इसलिए जरूरी है क्योंकि कैंसर उपचार की मशीनों से निकलने वाले रेडिएशन को रोकने के लिए इसे विशेष रूप से डिजाइन किया जाता है। मशीन को बेसमेंट में इंस्टॉल किया जाएगा और इसके चारों ओर 10 फीट चौड़ी दीवारें बनाईं जाएंगी, ताकि रेडिएशन बाहर न आए।

यह कदम कैंसर मरीजों के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन साबित होगा, जिससे उन्हें बेहतर और सुरक्षित इलाज मिल सकेगा।