सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल :अंग्रेजों के शासन से पूर्व भारत का प्रत्येक गांव आत्मनिर्भर और स्वशासी इकाई था। यहां समस्त व्यवस्थाएं – शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और कृषि – गांव द्वारा ही संचालित होती थीं। इसी व्यवस्था का प्रमाण मद्रास के उल्लावूर और कुण्ड्रत्तूर गांवों की केस स्टडी में मिलता है। यह बात पद्मश्री समाज विज्ञानी डॉ. जतिंदर कुमार बजाज ने दत्तोपन्त ठेंगड़ी शोध संस्थान द्वारा आयोजित दो सप्ताहीय दक्षता निर्माण कार्यक्रम में कही।
यह कार्यक्रम आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित था जिसमें ‘अंग्रेजों से पहले की भारतीय नीति’ और ‘भारतीय परिवेश में समाज वैज्ञानिक शोध’ विषयों पर डॉ. बजाज ने युवा प्राध्यापकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक ग्राम व्यवस्था धर्म, न्याय और समता के सिद्धांतों पर आधारित थी। अंग्रेजों द्वारा किए गए सर्वे में भी यह स्पष्ट हुआ कि प्रत्येक गांव स्वशासी इकाई थी।
कार्यक्रम में डॉ. बजाज ने बताया कि हमारी वर्तमान समस्याओं का समाधान हमारे सभ्यतागत शास्त्रों और साहित्य में छिपा है। हमें भारतीय दृष्टिकोण से शोध करना चाहिए और औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलकर अपने इतिहास की सूक्ष्मताओं को समझना चाहिए।
इस अवसर पर एनआईटीटीटीआर के निदेशक चंद्र चारु त्रिपाठी, कार्यक्रम की संयोजक अल्पना त्रिवेदी और संस्थान के निदेशक मुकेश मिश्रा भी मौजूद थे। सत्र में ग्रामीण भारत के इतिहास, संस्कृति और सामाजिक संरचना पर शोध की आवश्यकता पर बल दिया गया।
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