प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित ‘भारत-टेक्स 2025’ कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्होंने भारतीय वस्त्र उद्योग के विकास की नई संभावनाओं पर जोर दिया। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक टेक्सटाइल निर्यात को ₹9 लाख करोड़ तक पहुंचाया जाए, जो फिलहाल ₹3 लाख करोड़ पर है।

पीएम मोदी ने इस अवसर पर ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी पहलों को मजबूती देने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत का कपड़ा उद्योग न केवल देश की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है, बल्कि यह देश के करोड़ों लोगों को रोजगार भी देता है।

भारत-टेक्स 2025: निवेश और नई संभावनाओं का मंच

‘भारत-टेक्स 2025’ कार्यक्रम केवल एक प्रदर्शनी नहीं बल्कि भारत के वस्त्र उद्योग के लिए एक रणनीतिक मंच साबित हो रहा है। सरकार ने इसमें निवेशकों, उद्योगपतियों और निर्यातकों को एक साथ लाकर नवाचार और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए संवाद स्थापित किया है।

सरकार की मुख्य योजनाएँ:

1. नवाचार और तकनीकी अपग्रेडेशन – वस्त्र उद्योग को आधुनिक मशीनरी और स्मार्ट तकनीकों से जोड़ा जाएगा।

2. पीएलआई योजना (Production Linked Incentive) – टेक्सटाइल उद्योग में निवेश को बढ़ाने के लिए यह योजना मददगार साबित होगी।

3. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) – अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों के जरिए भारतीय वस्त्र उत्पादों के लिए नए बाजार खोले जाएंगे।

4. रोजगार सृजन – टेक्सटाइल सेक्टर में 50 लाख नए रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।

भारत को वस्त्र उद्योग में विश्व लीडर बनाने की दिशा में कदम

भारत का वस्त्र उद्योग न केवल पारंपरिक हथकरघा और कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अब यह तकनीकी वस्त्र (Technical Textiles), जैविक कपड़े (Organic Fabrics) और स्मार्ट टेक्सटाइल्स जैसे उन्नत क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बना रहा है।

दुनिया भर में बढ़ती मांग को देखते हुए, सरकार ने गुणवत्ता और स्थिरता (Quality & Sustainability) पर भी विशेष ध्यान देने की बात कही है। भारत का लक्ष्य चीन और बांग्लादेश जैसे देशों को प्रतिस्पर्धा देकर वैश्विक टेक्सटाइल निर्यात में शीर्ष स्थान हासिल करना है।

निष्कर्ष:

‘भारत-टेक्स 2025’ के मंच से प्रधानमंत्री मोदी ने एक मजबूत संदेश दिया है कि भारत न केवल वस्त्र उत्पादन में आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि वैश्विक बाजार में अपनी छवि को और अधिक सशक्त बना रहा है। आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र नवाचार, रोजगार और निर्यात के नए आयाम स्थापित करेगा, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।

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