सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : काठमांडू में आयोजित पहले सागरमाथा संवाद में भाग लेते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और विकसित देशों को उनके वादों की याद दिलाई। मंत्री यादव ने कहा कि भारत पेरिस समझौते के तहत तय लक्ष्यों को हासिल करने में गंभीरता से जुटा हुआ है, जबकि विकसित देशों ने अब तक अपने वादों को पूरा नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि भारत सहित दक्षिण एशिया में दुनिया की लगभग 25 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन इस क्षेत्र का वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में योगदान मात्र 4 प्रतिशत है। इसके बावजूद विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का असमान रूप से सामना करना पड़ रहा है।

यादव ने विशेष रूप से हिमालय और अन्य पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु संकट का असर सबसे पहले संवेदनशील क्षेत्रों में दिखाई देता है, और ऐसे क्षेत्रों की रक्षा करना वैश्विक ज़िम्मेदारी है।

सागरमाथा संवाद के मंच से भारत ने स्पष्ट किया कि केवल घोषणाएं पर्याप्त नहीं हैं, विकसित देशों को अब ठोस कार्यवाही करनी होगी। भारत न केवल अपने राष्ट्रीय योगदानों को निभा रहा है बल्कि वैश्विक दक्षिण की आवाज भी बनकर उभरा है।

यह बयान ऐसे समय आया है जब जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक असमानता की बहस फिर तेज हो गई है।

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