वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि कोविड-19 संकट के बावजूद भारत को बीते कुछ वर्षों में रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है और पूंजीगत प्रवाह के खतरों को कम करने के लिए भारत में कुछ सुरक्षा उपाय हैं।
आईएमएफ की पहली उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने यहां कहा कि पूंजीगत प्रवाह के अनेक लाभ होते हैं। वे आवश्यक निवेशों के लिए वित्तपोषण उपलब्ध करवाते हैं और कुछ प्रकार के खतरों के खिलाफ सुरक्षा देने में मदद करते हैं।
भारत में पूंजी प्रवाह होने से देशों को कई लाभ होते हैं और उन पूंजी प्रवाहों को प्राप्त करने से भी लाभ होता है। आईएमएफ ने पूंजी प्रवाह के उदारीकरण और प्रबंधन पर संस्थागत दृष्टिकोण (आईवी) की समीक्षा पर एक दस्तावेज जारी किया। आईवी को 2012 में अपनाया गया था और यह पूंजी प्रवाह से संबंधित नीतियों पर कोष परामर्श के लिए लगातार आधार प्रदान करता है।
गोपीनाथ ने कहा कि बड़ी मात्रा में पूंजी प्रवाह होने से अन्य प्रकार के वित्तीय खतरे जुड़े होते हैं। जहां तक भारत की बात है तो वहां बड़ी संख्या में पूंजी प्रतिबंध पहले से लागू हैं। बाहरी माहौल के बदलावों से निपटने के लिए भारत की सरकार इन प्रतिबंधों का इस्तेमाल काफी सक्रियता के साथ करती है।
उन्होंने कहा कि पूंजी प्रवाह के लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था में कई सुरक्षा व्यवस्थाएं हैं लेकिन यह अभी भी अपने पूंजी खातों को उदार बनाने की प्रक्रिया में है। जैसे-जैसे उसका वित्तीय बाजार गहरा होगा, वित्तीय संस्थान गहरे होंगे, यह पूंजी प्रवाह के अधिक रूपों की अनुमति देने की ओर बढ़ सकता है। पूंजी प्रवाह होने चाहिए क्योंकि ये प्राप्तकर्ता देशों के लिए विशेष तौर पर लाभदायक होते हैं हालांकि ये वृहद-आर्थिक चुनौतियों और वित्तीय स्थिरता के खतरे भी पैदा कर सकते हैं।