सुगम्यता दिवस पर भारत ने डिजिटल समावेशन को बढ़ावा दिया

 

सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : ग्लोबल एक्सेसिबिलिटी अवेयरनेस डे (GAAD) 2025 के अवसर पर इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित इन्क्लूसिव इंडिया समिट के दौरान स्नातक कंप्यूटर साइंस और डिज़ाइन पाठ्यक्रमों में डिजिटल एक्सेसिबिलिटी सिखाने के लिए एक प्रस्तावित पाठ्यक्रम का अनावरण किया गया। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में भावी टेक्नोलॉजिस्ट और डिज़ाइनर्स को प्रशिक्षित करते समय एक्सेसिबिलिटी को शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बनाया जाए।

इस शिखर सम्मेलन में देशभर से शैक्षणिक नेतृत्वकर्ता, एक्सेसिबिलिटी विशेषज्ञ और दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता एकत्र हुए।

इन्क्लूसिव इंडिया समिट का आयोजन ग्लोबल एक्सेसिबिलिटी अवेयरनेस डे के अवसर पर दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, एसबीआई फाउंडेशन (भारतीय स्टेट बैंक की सीएसआर इकाई) और नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड द्वारा किया गया। इसका आयोजन एसोसिएशन ऑफ पीपल विद डिसेबिलिटी (APD) और मिशन एक्सेसिबिलिटी (धनंजय संजोगता फाउंडेशन) के सहयोग से किया गया, और यह 15 मई को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हाइब्रिड मोड में सम्पन्न हुआ, जिसमें ऑनलाइन और प्रत्यक्ष दोनों तरह की भागीदारी रही।

यह पाठ्यक्रम एक लंबे समय से चली आ रही कमी की प्रतिक्रिया के रूप में सामने आया है: भारत में डिजिटल सेवाएं भले ही तेज़ी से बढ़ी हों, लेकिन अधिकांश प्लेटफॉर्म दिव्यांगजनों के लिए नेविगेट करना अब भी कठिन हैं। सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी द्वारा 2023 में किए गए एक ऑडिट में पाया गया कि 98% प्रमुख भारतीय वेबसाइटें वैश्विक एक्सेसिबिलिटी मानकों पर खरी नहीं उतरतीं। वैश्विक स्तर पर स्थिति इससे बेहतर नहीं है; WebAIM के 2023 विश्लेषण में शीर्ष 1 मिलियन होमपेज में से 96.3% में एक्सेसिबिलिटी त्रुटियां पाई गईं। समिट में विशेषज्ञों ने माना कि यह समस्या जड़ों में है—यानी टेक्नोलॉजिस्ट और डिज़ाइनर्स को जैसे प्रशिक्षित किया जाता है।

टेक महिंद्रा के पूर्व सीईओ और समिट के वक्ता सी. पी. गुरनानी ने कहा,

“भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था एक्सेसिबिलिटी को एक बाद की बात की तरह नहीं ले सकती। इसे तकनीकी शिक्षा में शामिल करना केवल समयोचित नहीं, बल्कि अनिवार्य है। यह पाठ्यक्रम समावेशी डिज़ाइन की दिशा में एक अहम कदम है।”

यह पाठ्यक्रम कई महीनों की मेहनत से एक राष्ट्रीय कार्यसमूह द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें IIIT बेंगलुरु, डिज़ाइन बेकू, मिशन एक्सेसिबिलिटी, सी-डैक इंडिया, XRCVC (ज़ेवियर्स रिसोर्स सेंटर फॉर द विज़ुअली चैलेंज्ड), आर्टीलैब्स, और BMS कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बेंगलुरु जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हैं। यह पाठ्यक्रम मॉड्यूलर, अनुकूलनीय, और भारतीय संदर्भों पर आधारित है। इसमें विद्यार्थियों को एक्सेसिबिलिटी सिद्धांतों, WCAG जैसे वेब मानकों, सहायक तकनीकों, यूनिवर्सल डिज़ाइन और विकलांगता अधिकार कानून से परिचित कराया जाएगा।

मिशन एक्सेसिबिलिटी के सह-संस्थापक और अधिवक्ता अमर जैन, जो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने में भी शामिल थे, ने कहा,

“हमारे पास नीति और मिसालें हैं, लेकिन जो कमी है वह है कार्यान्वयन की क्षमता। यह पाठ्यक्रम यह सुनिश्चित करता है कि हम केवल टूटी चीजों को नहीं सुधार रहे—बल्कि शुरुआत से ही सही निर्माण सिखा रहे हैं।”

डिजिटल एक्सेसिबिलिटी समावेशन पर राष्ट्रीय परामर्श की अध्यक्षता दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सचिव श्री राजेश अग्रवाल ने की। इसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY), आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MOHUA), शिक्षा मंत्रालय, IIT दिल्ली, IIIT दिल्ली और IIT बॉम्बे के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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