भारत, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले दशक में देश ने उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति की है। बुनियादी ढांचे के विकास और वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत स्थिति ने इसे विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान दिलाया है।
अर्थव्यवस्था की नई ऊंचाईयां
हाल ही में, भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त किया। यह उपलब्धि आर्थिक सुधारों और नीतियों का परिणाम है, जिसने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है। हालांकि, इस आर्थिक विकास के साथ-साथ देश को सामाजिक असमानता, बेरोजगारी, और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार जैसे मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
लोकतंत्र की चुनौतियां
लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी किसी भी लोकतंत्र की नींव होती है। हालांकि, हाल के वर्षों में, मीडिया, न्यायपालिका, और सिविल सोसाइटी पर बढ़ते दबाव ने लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल खड़े किए हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की गिरती रैंकिंग इस दिशा में चिंता का विषय है।
भारत की विविधता: एक ताकत और जिम्मेदारी
भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक, और भाषाई विविधता उसकी सबसे बड़ी ताकत है। हालांकि, इस सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए समावेशिता और सहिष्णुता को बढ़ावा देना अनिवार्य है।
आर्थिक विकास और लोकतंत्र के बीच संतुलन
आर्थिक प्रगति और लोकतांत्रिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाए रखना समय की मांग है। सरकार, नागरिक समाज और प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वे मिलकर एक ऐसा भारत बनाएं, जहां विकास और आदर्श एक साथ चलें। यही संतुलन देश को एक स्थायी और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाएगा।