2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भारत की राजनीति का केंद्र बिंदु बना INDIA अलायंस आज कई सवालों के घेरे में है। बीजेपी को 240 सीटों पर सीमित करने के दावे के साथ बना यह गठबंधन अब खुद अंदरूनी मतभेदों से जूझ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह विपक्षी एकता टिक पाएगी या फिर सत्ता के समीकरणों के बीच यह भी इतिहास का हिस्सा बन जाएगी।

गठबंधन की शक्ति और चुनौती:
INDIA अलायंस का गठन इस उद्देश्य से हुआ था कि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल मिलकर बीजेपी की राजनीतिक बढ़त को चुनौती दें। इसके पीछे यह तर्क था कि विपक्ष की एकजुटता ही सत्तारूढ़ दल को प्रभावी टक्कर दे सकती है। लेकिन जब कई विचारधाराओं, क्षेत्रीय एजेंडा और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं वाले दल एक साथ आते हैं, तो उनके बीच टकराव स्वाभाविक हो जाता है।

आज यही मतभेद गठबंधन की जड़ों को कमजोर करते दिख रहे हैं। कांग्रेस जैसे प्रमुख दल की बढ़ती भूमिका, आम आदमी पार्टी और टीएमसी जैसे क्षेत्रीय दलों की अपनी प्राथमिकताएं, और उम्मीदवार चयन जैसे मुद्दे गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं।

क्या टूट संभव है?
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, यह कहना जल्दबाजी होगी कि गठबंधन टूट जाएगा। हालांकि, अलायंस के घटकों के बीच गहराते मतभेद और सामंजस्य की कमी निश्चित रूप से इसकी प्रासंगिकता पर सवाल खड़े करती है। चुनावी रणनीति, सीटों का बंटवारा, और साझा नेतृत्व जैसे विषयों पर अगर शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो यह गठबंधन बीजेपी के खिलाफ उस ताकत के रूप में उभरने में विफल हो सकता है, जिसकी उम्मीद की गई थी।

अलायंस टूटने का प्रभाव:
अगर INDIA अलायंस टूटता है, तो इसका सबसे बड़ा लाभ बीजेपी को होगा। विपक्ष की विभाजित स्थिति सत्तारूढ़ दल की जीत को आसान बना सकती है। वहीं, यह भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए भी एक धक्का होगा, जहां सशक्त विपक्ष की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष:
INDIA अलायंस का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि इसके घटक दल अपने मतभेदों को भुलाकर किस हद तक एकजुट हो सकते हैं। अगर यह गठबंधन टूटता है, तो यह सिर्फ विपक्ष के लिए ही नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए भी एक झटका होगा। भारत की राजनीति को एक सशक्त विपक्ष की आवश्यकता है, और यही समय है जब अलायंस को अपनी एकता और परिपक्वता साबित करनी होगी।

“एकता में शक्ति होती है,” यह सिर्फ कहने भर की बात नहीं है, बल्कि विपक्षी दलों के लिए आज की सबसे बड़ी सीख हो सकती है।”

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