इस्‍लामाबाद । पाकिस्‍तानी पुलिसकर्मियों की हत्‍या करने वाले मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्‍बैक के सामने इमरान खान सरकार ने घुटने टेक दिए हैं। पाकिस्‍तान ने टीएलपी के 2000 कार्यकर्ताओं को रिहा करने का फैसला किया है। यही नहीं इमरान सरकार ने टीएलपी को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है। टीएलपी की हिंसा और धरने से घबराई इमरान खान सरकार ने पहले कार्रवाई की गीदड़भभकी दी लेकिन बाद में शर्मनाक समझौता कर लिया।

दोनों पक्षों के वार्ताकारों का कहना है कि इसके बदले में टीएलपी ने हिंसा की राजनीति को बंद करने और फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की लंबे समय से चली आ रही अपनी मांग को वापस लेने पर सहमति जताई है। टीएलपी के लोग फ्रांस में पैगंबर मोहम्‍मद साहब के कार्टून को बनाए जाने के बाद पाकिस्‍तान में विरोध शुरू हुआ था। टीएलपी तभी से फ्रांसीसी राजदूत को निकाले जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करती रहती है।

इमरान सरकार ने टीएलपी के प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद उस पर रोक लगा दी ‎थी। इमरान खान ने टीएलपी को आतंकी संगठन घोषित करके उसके मुखिया साद रिजवी को ‎गिरफतार कर लिया था। पाकिस्‍तान सरकार और टीएलपी दोनों ने कहा था कि समझौता हो गया है लेकिन किसी भी संगठन ने इस डील का विवरण नहीं दिया था। इस डील से जुड़े लोगों ने बताया कि इसकी मुख्‍य बात प्रतिबंध को हटाने पर सहमति है। साथ ही अब टीएलपी को चुनाव में हिस्‍सा लेने की अनुमति दे गई है।

पा‎किस्तान सरकार ने कहा है कि पाकिस्‍तानी पुलिसकर्मियों की जान लेने वाला टीएलपी न तो प्रतिबंध‍ित है और न ही आतंकी संगठन है। इसके साथ इमरान खान ने यह भी मांग मान ली है कि साद रिजवी, टीएलपी के 2300 लोगों को छोड़े जाने और आतंकी निगरानी सूची में से नाम निकाले जाने का उनकी सरकार विरोध नहीं करेगी। वहीं पंजाब के कानून मंत्री राजा बशरत ने कहा है कि एक हजार टीएलपी सदस्‍यों को रिहा कर दिया गया है। इससे पहले टीएलपी के लोगों ने भारी हिंसा करते हुए सात पुलिसकर्मियों की हत्‍या कर दी थी और सैकड़ों को घायल कर दिया था।