सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर कपिल आहूजा को शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रीय टीचर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रोफेसर आहूजा ने यह सम्मान अपने छात्रों को समर्पित किया और कहा कि बच्चों का दिमाग पढ़ना और कठिन विषयों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर समझाना ही उनकी सफलता का रहस्य है।
मशीन लर्निंग और मैथ्स जैसे जटिल विषयों को भी समझना हुआ आसान प्रो. कपिल आहूजा पिछले 11 वर्षों से आईआईटी इंदौर में मशीन लर्निंग और गणित पढ़ा रहे हैं। उन्होंने अपने अनूठे शिक्षण तरीकों से कठिन से कठिन विषयों को छात्रों के लिए सरल बना दिया है। वे हमेशा कोशिश करते हैं कि कक्षा के सभी बच्चे विषय को समझें और इसमें निपुण बनें। उनका मानना है कि फीडबैक लेकर अपने तरीके में सुधार लाने से शिक्षा को और प्रभावी बनाया जा सकता है।
वर्जीनिया टेक से शुरू हुआ टीचिंग का जुनून प्रो. आहूजा ने बताया कि वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी में पीएचडी के दौरान उन्हें पहली बार टीचिंग का जुनून जागा। उन्होंने वहां के छात्रों को पढ़ाते हुए महसूस किया कि जटिल कंसेप्ट्स को टुकड़ों में विभाजित कर आसानी से समझाया जा सकता है। यह तरीका उन्हें भारत में भी सफलता दिला रहा है, जहां वे पिछले 5 वर्षों से आईआईटी इंदौर में बेस्ट टीचर अवॉर्ड प्राप्त कर रहे हैं।
भारत और अमेरिका के शिक्षण में अंतर प्रो. आहूजा ने बताया कि भारत और अमेरिका के शिक्षण तरीकों में बड़ा अंतर है। अमेरिका में छात्रों के लिए अनुशासन सख्त है, जहां परीक्षा या होमवर्क में चीटिंग बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाती। इसके विपरीत भारत में यह उतना सख्त नहीं है, इसलिए वे छात्रों की समझ को परखने के लिए क्विज का उपयोग करते हैं, न कि होमवर्क को ग्रेडिंग का आधार बनाते हैं।
प्रोफेसर कपिल आहूजा का यह सम्मान न केवल उनकी शिक्षा पद्धति की प्रभावशीलता को दर्शाता है, बल्कि आने वाले शिक्षकों के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल भी है।