सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के उपलक्ष्य में, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में भारतीय वन प्रबंध संस्थान, भोपाल द्वारा “वन एवं वन्यजीव प्रबंधन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का 21 अगस्त को उद्घाटन किया गया।
श्री ए.के. मोहंती, ए डी जी (एफ सी), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने कार्यशाला का उद्घाटन किया और मुख्य भाषण दिया। भारतीय वन प्रबंध संस्थान के निदेशक डॉ. के. रविचंद्रन ने समुद्री जानवरों की गतिविधियों की निगरानी के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के अपने अनुभव पर अंतर्दृष्टि साझा की और वन एवं वन्यजीव प्रबंधन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला इस क्षेत्र में नए विकास और अनुप्रयोगों पर गहन चर्चा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
डॉ. के. श्रीनिवास, उप निदेशक, एन आर एस सी, हैदराबाद ने “पृथ्वी अवलोकन अनुप्रयोग और वानिकी एवं वन्यजीव के लिए उभरते अवसर” पर एक तकनीकी व्याख्यान दिया। उन्होंने एआई/एमएल प्रणालियों की उपयोगिता पर चर्चा की और डेटा संग्रह तथा निगरानी के लिए प्रमुख वेब पोर्टल- भूनिधि, एनडीईएम, भुवन और मोसडैक पर प्रकाश डाला। अरुणाचल प्रदेश सरकार के पीसीसीएफ और हॉफ श्री पी. सुब्रमण्यम ने क्षेत्रीय निरीक्षणों के साथ भू-सूचना विज्ञान प्रणाली (जीआईएस) के एकीकरण पर जोर दिया। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और कहा कि उन्नत तकनीक के साथ जमीनी निरीक्षणों को जोड़ने से वन और वन्यजीव प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के आई जी एफ (एफ पीडी) राजेश एस ने स्वागत भाषण दिया एवं कार्यशाला के उद्देश्यों को रेखांकित किया। इन दो दिनों में, 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 70 विद्वान, प्रतिनिधि एवं प्रतिभागी, जिनमें राज्य वन विभागों, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में विशेषज्ञता रखने वाले राष्ट्रीय संस्थान, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र – इसरो, डब्ल्यूआईआई, आईसीएफआरई, आईएनसीओआईएस, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हैं, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी वन और वन्यजीव प्रबंधन में महत्वपूर्ण चुनौतियों के समाधान पर चर्चा करेंगे।
इस कार्यशाल के माध्यम से कैसे सैटेलाइट इमेजरी, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस वन क्षेत्र, अग्नि प्रबंधन, वन्यजीव ट्रैकिंग और संरक्षित क्षेत्र निगरानी के माध्यम से विस्तृत डेटा प्रदान करके संरक्षण प्रयासों में क्रांति लायी जा सकती है, इस विषय पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जायेगा। साथ ही इस तकनीक से निर्णय लेने में सुधार, संभावित मुद्दों का पूर्वानुमान लगाने और भारत के वनों और वन्यजीवों के प्रभावी प्रबंधन के लिए समय पर हस्तक्षेप करने में सुविधा की भी सकारात्मक संभावना है।