सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड– न्यूज़ भोपाल: उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान, भोपाल के ‘भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ’ द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘गुरू पूर्णिमा उत्सव’ विद्यार्थियों की मोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम के द्वितीय एवं अंतिम दिवस मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध चिन्तक और विचारक चेतस सुखाड़िया, वासुदेव डांगी एवं वरिष्ठ प्राध्यापक एस. एस. विजयवर्गीय उपस्थित रहे ।
संस्थान के संचालक प्रज्ञेश कुमार अग्रवाल ने अपने स्वागत उद्बोधन में संस्थान की उपलब्धियों रेखांकित करते हुए बताया कि किस प्रकार संस्थान में स्थापित विभिन्न फ्लेगशिप कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु संस्थान कृत-संकल्पित है। उन्होंने इस वर्ष संस्थान के 10 विद्यार्थी के एमपीपीएससी में चयनित होने और मेरिट सूची में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने के बारे में भी सभी को अवगत कराया गया ।
इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थी जीवन को स्वर्णिम काल बताते हुए विद्यार्थियों को ज्ञानार्जन के साथ-साथ ही चरित्र-निर्माण की आवश्यकता पर भी बल दिया। तत्पश्चात कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि एवं प्रखर वक्ता श्री चेतस सुखाड़िया जी ने अपने विद्वतापूर्ण उद्बोधन में ‘शैक्षिक-परिसर’ की महत्ता को प्रतिपादित किया । उन्होंने शैक्षिक-परिसर को राष्ट्र निर्माण के केंद्र के रूप में निरुपित करते हुए विद्यार्जन को रोचक, आनंदमय और सार्थक बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में परिसरों में विद्यार्थियों को आकृष्ट करना एक चुनौती है और इसके कारणों को दूर कर हम इसे पूरा कर सकते हैं ।
उन्होंने जीवन में सफलता और सार्थकता की बहुत ही सटीक व्याख्या कर सभी का मार्गदर्शन किया। प्राचीन भारत की गुरुकुल परंपरा को विस्तार से व्याख्यित करते हुए उसके महत्व व वर्तमान प्रसंगिकताओं पर भी अपने विचार साझा किये। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. वासुदेव डांगी जी ने अपने शास्त्रीय-संगीत गायन की विधा से गुरू महिमा और जीवन गाथा को अभिव्यक्त किया और अन्य क्षेत्रों में भी गुरू की महत्ता को समझाया गया।
संस्थान के हिंदी विभाग के छात्र अक्षय राजोरिया ने कार्यक्रम के उद्देश्य व उसकी प्रासंगिकता को समझाते हुए रामचरितमानस में गुरू-महिमा की सुन्दर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण विद्यार्थियों के द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम रहे जिसमें उन्होंने ऋषि संदीपनि पर आधारित नाटिका का मंचन, नृत्य के रूप में गुरु वंदना और काव्यात्मक प्रस्तुतियों से सभी को अत्यंत प्रभावित किया। कार्यक्रम में योग, ध्यान और शारीरिक स्वास्थ्य के महत्व पर भी चर्चा की गई । ‘भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ’ की ओर से डॉ. राम कृष्ण श्रीवास्तव द्वारा उपस्थित अतिथिओं के प्रति आभार व्यक्त किया गया । कार्यक्रम का संचालन संध्या त्रिवेदी एवं रसायन विभाग के छात्र अंशुल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों ने बड़ी संख्या में पूर्ण उत्साह और उमंग के साथ अपनी सहभागिता की । ‘गुरू पूर्णिमा उत्सव’ के गरिमामय और सफल संचालन में प्रकोष्ठ तथा समिति के सभी सदस्यों का सक्रिय योगदान रहा । कार्यक्रम के अंत में “एक वृक्ष गुरु के नाम” भी रोपित किया गया ।