सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: गुरू पूर्णिमा के शुभ अवसर उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान (आई.ई.एच.ई.) भोपाल में दो दिवसीय ‘गुरू पूर्णिमा उत्सव’ का आयोजन संस्थान के ‘भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ’ द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. मनोज श्रीवास्तव सहित वरिष्ठ शिक्षाविद तथा संस्थान की पूर्व सेवानिवृत्त संचालक डॉ. प्रमिला मैनी, पूर्व संचालक एवं वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. एस एस विजयवर्गीय, सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. सत्यदेव मिश्रा, डॉ. अनीता शिंदे तथा डॉ. सुचित्रा बैनर्जी उपस्थित हुए।

I.E.H.E. The two-day Guru Purnima festival began in
कार्यक्रम का गरिमामय शुभारंभ माँ सरस्वती की पूजा अर्चना, स्वस्ति वाचन और गुरु वंदना के साथ हुआ। संस्थान के संचालक डॉ. प्रज्ञेश कुमार अग्रवाल द्वारा अपने ओजस्वी उद्बोधन में उत्सव की प्रासंगिकता को रेखांकित किया तथा उपस्थित सभी आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया। उनके द्वारा डॉ. मनोज श्रीवास्तव की कुशल प्रशासनिक दक्षताओं के साथ-साथ उनके साहित्यिक सृजन और एक शिक्षक के रूप में भी उनके योगदान से सभी को अवगत कराया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि श्रीवास्तव सर के अनेक स्टूडेंट यूपीएससी एवं एमपीपीएससी में सेलेक्ट हो चुके हैं, जिनमें हमारे संस्थान के छात्र भी सम्मिलित हैं। तत्पश्चात वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. एस.एस. विजयवर्गीय ने अपने उद्बोधन में सनातन परंपरा में गुरु की महत्ता की व्याख्या करते हुए बताया कि किस प्रकार आधुनिक शिक्षा और सनातन शिक्षा में अंतर है। उन्होंने गुरु को केवल शिक्षा ही नहीं जीवन को दिशा देने वाले व्यक्तित्व के रूप में निरुपित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. मनोज श्रीवास्तव जी ने अपने अत्यंत सारगर्भित व्याख्यान के माध्यम से भारतीय समृद्ध परम्पराओं के न सिर्फ वैज्ञानिक स्वरुप को प्रस्तुत किया बल्कि उसके साथ उसकी प्रासंगिकता को भी निरुपित किया । हरियाली अमावस्या, हरतालिका तीज एवं 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस हो या फिर ग्रेगोरियन कैलेंडर और विक्रम संवत की बात हो, भारतीय ज्ञान परंपरा एवं आधुनिक पाश्चात्य परंपरा के अंतर को प्रमाणिकता के आधार पर समझा जा सकता है। उन्होंने आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही गुरु पूर्णिमा मनाए जाने के महत्व और कारण को भी स्पष्ट किया। भारतीय समाज में गुरु परंपरा को आचार्य सांदीपनी व श्री कृष्ण के उदाहरण के साथ आधुनिक परिप्रेक्ष्य में गुरु के महत्व पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। संस्थान की सेवानिवृत्त पूर्व संचालक डॉ. प्रमिला मैनी द्वारा भारतीय परंपरा में गुरु-शिष्य संबंधों की महत्ता तथा तात्कालिक परिस्थितियों में समझदारी, जिम्मेदारी, ईमानदारी और वफादारी पर अपने विचारों से सभी का मार्ग दर्शन किया गया वहीँ सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. सत्यदेव मिश्रा द्वारा शिक्षा में नैतिकता और वर्तमान शिक्षा प्रणाली में इसकी भूमिका विषय पर अत्यंत ही सारगर्भित व्याख्यान कल्प वृक्ष की कहानी सहित प्रस्तुत किया गया। सेवानिवृत्त प्राध्यापक द्वय डॉ. अनीता शिंदे तथा डॉ. सुचित्रा बैनर्जी द्वारा गुरु पूर्णिमा के महत्व को अपने व्यक्तिगत व शैक्षणिक अनुभवों को साझा करते हुए एक ‘शिक्षक’ से ‘गुरू’ बनने की यात्रा को इंगित किया।

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कार्यक्रम का सुचारू संचालन वाणिज्य संकाय की छात्रा वाणी के द्वारा सारगर्भित रूप में किया गया । स्वस्ति वाचन हिंदी विभाग के छात्रों अक्षय कुमार राजोरिया और अक्षांश सिंह कुशवाहा द्वारा किया गया तथा सुमधुर गुरु वंदना एम.एस-सी. रसायन विज्ञानं के छात्र निखिल विश्वकर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई । गुरु पूर्णिमा उत्सव के इस कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा भारतीय परंपरानुसार सभी शिक्षकों का सम्मान तिलक और पुष्प भेंट कर किया गया । यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम के दौरान ही देवी अहिल्या विश्वविध्यालय, इंदौर में प्रदेश के माननीय मुख्य मंत्री डॉ. मोहन यादव जी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न गुरु पूर्णिमा उत्सव के सजीव प्रसारण को भी उपस्थित सभी संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों द्वारा देखा गया। प्रथम दिवस के कार्यक्रम का समापन भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की संयोजक व पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. प्रज्ञा गुप्ता नायक एवं डॉ. संध्या त्रिवेदी द्वारा संयुक्त रूप आभार व्यक्त करने के साथ हुआ