सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: 2002 से 2009 तक, स्टार प्लस पर एक शो टेलीकास्ट हुआ था, जिसका नाम था कुमकुम- एक प्यारा सा बंधन। इस शो की पॉपुलैरिटी इतनी थी कि टीवी ना होने पर लोग दूसरों के घर जाकर इसे देखते थे।
इसी शो में कुमकुम राय वाधवा के किरदार में जूही परमार दिखी थीं और इसी शो ने उन्हें कम समय में जबरदस्त कामयाबी दिलाई थी। इस बार की स्ट्रगल स्टोरी में हमने इन्हीं की कहानी को समेटा है।
जूही हमेशा से ही एक्ट्रेस बनना चाहती थीं। जब वे मुंबई पहुंचीं तो आम स्ट्रगलर्स की तरह उन्हें भी संघर्ष करना पड़ा। एक वक्त ऐसा आया कि उन्होंने इंडस्ट्री छोड़ने का मन बना लिया था। वजह ये थी कि वे छोटे-मोटे रोल करके थक गई थीं। फिर टीवी शो कुमकुम उनकी झोली में गिरा और सब बदल गया।
जूही की पर्सनल लाइफ में भी संघर्ष रहा। 9 साल में ही उनकी शादी टूट गई। आज जूही 11 साल की बेटी की सिंगल मदर हैं। थायरॉइड की वजह से उनका वजन इतना बढ़ गया था कि वे अपना चेहरा भी नहीं पहचान पाती थीं।
पढ़िए जूही परमार के संघर्ष की कहानी, उन्हीं की जुबानी…
12 साल की उम्र में एक्ट्रेस बनने का फैसला किया था
एक्टिंग के शुरुआती सफर के बारे में जूही बताती हैं, ‘जब मैं 12 साल की थी, तभी से एक्ट्रेस बनने का सपना देखा करती थी। उसी वक्त यह बात घरवालों को भी बता दी थी, लेकिन उन्हें लगा कि मैं मजाक कर रही हूं। उनका मानना था कि कोई पिक्चर देखकर आई हूं, इसलिए ऐसी बहकी-बहकी बातें कर रही हूं। हालांकि, उनकी यह सोच बिल्कुल गलत थी।
बड़ी होने पर भी मैं हमेशा एक्टिंग के लिए जुनूनी रही। उम्र के इस पड़ाव पर जब पेरेंट्स ने देखा कि मैंने अपना ख्वाब नहीं बदला है, तो उन्होंने सपोर्ट किया।’
अच्छा काम नहीं मिलने पर इंडस्ट्री छोड़ने का प्लान बना लिया था
आम इंसान की तरह जूही भी एक्टिंग की दुनिया में हाथ आजमाने मुंबई आई थीं। इस सफर के बारे में उन्होंने बताया, ‘पहली बार पापा मुझे मुंबई छोड़ने आए थे। यहां मैं एक साल तक दूर के चाचा के घर रही। फिर PG में रहने लगी थी।
आम स्ट्रगलर की तरह मुझे भी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। हालांकि, मुझे हमेशा से ही पता था कि इस ख्वाब को पूरा करने में बहुत सारी दिक्कतें आएंगी। मैंने शुरुआत में छोटे-मोटे शोज किए। कई कार्टून शोज के लिए डबिंग भी की। इन्हीं कामों की वजह से मैं आगे बढ़ती गई और गुजर-बसर होती रही।
हालांकि, कुछ समय बाद मैं इन चीजों से थक गई। लंबे समय बाद भी जब बड़ा काम नहीं मिला तो सारी उम्मीदें टूटने लगीं। थक-हारकर मैंने घर वापस जाने का फैसला कर लिया। सोच लिया था कि करियर में ग्रोथ के लिए कुछ दूसरा काम करूंगी।’
500 रुपए थी पहली कमाई
आर्थिक संघर्ष के बारे में जूही ने बताया, ‘मैं 5000 रुपए लेकर मुंबई आई थी। इसके बाद जब कभी भी पैसे की कमी हुई, तो पापा बिना कोई सवाल किए देते गए, लेकिन 2 महीने बाद मुझे एहसास हो गया कि मैं इस तरह लाइफ में कुछ भी बड़ा नहीं कर पाऊंगी। इसके बाद मैंने पापा से पैसा लेना बंद कर दिया।
फिर लोकल ट्रेन में धक्के खाने और पैसे बचाने के लिए पैदल चलने का सिलसिला शुरू हो गया।
मेरी पहली कमाई सिर्फ 500 रुपए थी। ये पैसे मुझे चिड़िया की आवाज में डबिंग के लिए मिले थे। इनमें से 200 रुपए मैंने खुद के खर्च के लिए रखे थे। बाकी 300 रुपए से मां के लिए साड़ी खरीदी थी।’
शो कुमकुम के लिए ऑडिशन नहीं देना चाहती थीं
टीवी शो कुमकुम से जूही परमार को बहुत पॉपुलैरिटी मिली थी। इस शो में काम मिलने के बारे में जूही ने कहा, ‘मुझे जयपुर पहुंचे कुछ ही वक्त हुआ था कि तभी मुंबई से कॉल आ गया। पता चला कि एक बहुत अच्छे शो का ऑडिशन चल रहा है और मुझे भी देना चाहिए। इस ऑडिशन के लिए मेरा मन बिल्कुल भी नहीं था। फिर सोचा कि एक लास्ट चांस ले ही लेती हूं।