सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “भारत के लिए भारत का सामाजिक विज्ञान” विषय पर आरंभ हुई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में इस कार्यशाला का उद्देश्य भारतीय समाजशास्त्र को भारतीय दृष्टिकोण से सशक्त करना है। उद्घाटन सत्र में मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि का वक्तव्य

निदेशक परमार ने अपने संबोधन में भारतीय गृहणियों के रसोई प्रबंधन कौशल को सामाजिक विज्ञान का उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए कहा, “भारतीय समाज में पारंपरिक ज्ञान और प्रबंधन कौशल की भरमार है। हमें गर्व के साथ इन परंपराओं का अध्ययन और अनुसंधान करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा पद्धति को भारतीय ज्ञान परंपरा से समृद्ध करना ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का मुख्य उद्देश्य है।

सारस्वत और विशिष्ट अतिथियों का योगदान
कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि वी.पी. कृष्ण भट्ट, संरक्षक, राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद, नई दिल्ली ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे समाजशास्त्र पाठ्यक्रम पश्चिमी प्रभावों से प्रेरित रहे हैं। हमें भारतीय सामाजिक संदर्भों पर आधारित पाठ्यक्रमों की आवश्यकता है।” उन्होंने गीता और रामायण जैसे भारतीय ग्रंथों में छिपे समाजशास्त्र के गूढ़ तत्वों पर चर्चा की।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विघ्नेश भट्ट, उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद, ने कहा, “सोशल साइंस का उद्भव भारत से हुआ है, और इसे भारतीय संदर्भ में पुनर्परिभाषित करना अत्यंत आवश्यक है।” उन्होंने जोर दिया कि भारतीय ज्ञान परंपरा को स्कूली शिक्षा से जोड़कर नई पीढ़ी को इसकी जड़ों से अवगत कराना चाहिए।
कार्यशाला के अन्य प्रमुख वक्तव्य
कार्यशाला के संयोजक और विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुशील कुमार मंडेरिया ने स्वागत भाषण में कार्यशाला के महत्व और उद्देश्यों को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में देशभर से लगभग 80 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीयन कराया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे निदेशक संजय तिवारी, कुलगुरु, मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय ने कहा, “भारतीय ज्ञान परंपरा का मूल उद्देश्य संस्कार और सबका विकास है। हमें अपने जीवन में स्व के स्थान पर सर्व का भाव अपनाना होगा।”
तकनीकी सत्रों की शुरुआत
उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ। पहले सत्र की अध्यक्षता विघ्नेश भट्ट ने की। सत्र में समाजशास्त्रियों और शिक्षाविदों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
निदेशक आरती श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को सफल बनाने के लिए इसे स्कूल स्तर पर शामिल करना चाहिए। वहीं, निदेशक शारदा गर्ग ने जोर देकर कहा कि बच्चों को बाल्यावस्था से ही भारतीय सभ्यता और परंपराओं से जोड़ना चाहिए।
कार्यशाला की प्रासंगिकता
कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया है। इसका उद्देश्य भारतीय समाजशास्त्र को पश्चिमी प्रभावों से मुक्त कर, भारतीय संदर्भों में विकसित करना है।
उपसंहार
कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे। यह आयोजन भारतीय समाजशास्त्र को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दो दिवसीय इस कार्यशाला में नए दृष्टिकोण और विचारों के माध्यम से भारतीय शिक्षा पद्धति को नई दिशा देने का प्रयास किया जा रहा है।

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