सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: Green Donor की हरित प्रेरणा में आप सभी हरित प्रेमी बहनों और भाइयों का हार्दिक स्वागत है। मैं हरित वीर आपको प्रकृति प्रणाम करता हूं। आज के इस विशेष एपिसोड में हम बात करेंगे एक ऐसे महान पर्यावरण योद्धा की, जिन्होंने अपने जीवन को पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया। यह हरित वीर कोई और नहीं, बल्कि सुंदरलाल बहुगुणा जी हैं, जो चिपको आंदोलन के प्रणेता रहे हैं।
सुंदरलाल बहुगुणा: पर्यावरण योद्धा का जीवन परिचय
सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी 1927 को उत्तराखंड के मरोड़ा गांव में हुआ था। बचपन से ही उनका जुड़ाव प्रकृति से गहरा था। उन्होंने हिमालय के वनों और पर्वतीय क्षेत्रों को कटने से बचाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी। उन्होंने न केवल चिपको आंदोलन का नेतृत्व किया, बल्कि टिहरी बांध के विरोध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
“क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार” – यह बहुगुणा जी का प्रसिद्ध उद्धरण था, जो जंगलों की अहमियत को बताता है। उनका मानना था कि जंगल हमें शुद्ध हवा, उपजाऊ मिट्टी और जल संरक्षण प्रदान करते हैं। जंगलों के बिना, न हमारी ज़मीन उपजाऊ रहेगी और न ही हमारा पर्यावरण शुद्ध रहेगा।
चिपको आंदोलन: पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक
1970 के दशक में प्रारंभ हुआ चिपको आंदोलन जंगलों को कटने से बचाने का प्रतीक बन गया। इस आंदोलन में स्थानीय ग्रामीण महिलाएं पेड़ों से चिपककर उनकी रक्षा करती थीं। इस आंदोलन ने पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाया और इसे आज भी सबसे प्रभावशाली आंदोलनों में से एक माना जाता है।
टिहरी बांध विरोध: नदियों और पारिस्थितिकी की रक्षा
सुंदरलाल बहुगुणा ने 1980 के दशक में टिहरी बांध विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया, जो लगभग 20 वर्षों तक चला। उन्होंने इस बांध के निर्माण का विरोध किया क्योंकि यह हिमालयी पारिस्थितिकी और स्थानीय निवासियों के जीवन पर गंभीर असर डाल सकता था। उनके इस संघर्ष ने उन्हें ‘पर्यावरण गांधी’ की उपाधि दिलाई।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
सुंदरलाल बहुगुणा का जीवन हमें यह सिखाता है कि जंगल और पानी केवल संसाधन नहीं हैं, बल्कि जीवन के आधार हैं। उन्होंने बार-बार कहा, “जंगल, मिट्टी, पानी और बयार से ही धरती पर जीवन संभव है।” उन्होंने हमें यह समझाया कि अगर हम अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा नहीं करेंगे, तो हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं रहेगा।
विरासत और प्रेरणा
21 मई 2021 को सुंदरलाल बहुगुणा का निधन हो गया, लेकिन उनका संदेश और उनके विचार आज भी हमारे साथ जीवित हैं। उनकी प्रेरणा हमें सिखाती है कि हम सभी अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूक बनें और इसे बेहतर बनाने के लिए छोटे-छोटे प्रयास करें।
हर दिन हरियाली, हर दिन हरित प्रेरणा।
https://youtu.be/VCj4MvBA7wg