भोपाल । शहर के जिला अस्पताल जेपी से स्त्री रोग विशेषज्ञों का मोहभंग नहीं हो रहा है। जेपी अस्पताल से किसी डॉक्टर का पदोन्नति के साथ ही तबादला होता है, तो कुछ दिन बाद फिर से वह डॉक्टर वापस यहीं आ जाता है। सूत्रों की माने तो पिछले 6 साल में 7 से 8 बार ऐसा हो चुका है। हाल ही में यहां के महिला चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्नत कर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ बनाया गया है। इनमें डॉ श्रद्धा अग्रवाल और डॉक्टर यासमीन नियाजी को फिर से 15 दिन के भीतर ही तबादला कर जेपी अस्पताल में पदस्थ कर दिया गया है। पदोन्नति के बाद डॉक्टर श्रद्धा अग्रवाल को गांधीनगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ किया गया था, लेकिन वो फिर से जेपी अस्पताल आ गई है। गांधीनगर के अस्पताल में फिलहाल कोई स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ नहीं है। इसी तरह से डॉक्टर नियाजी को पदोन्नति के बाद सिविल अस्पताल बैरागढ़ में पदस्थ किया गया था, लेकिन वह भी जेपी अस्पताल वापस आ गई हैं। यहां पर यह बता दें कि जेपी अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के सिर्फ पांच पद हैं, लेकिन अब यहां पर 7 विशेषज्ञ पदस्थ हो गए हैं। ऐसे में दो का वेतन किसी और जगह से आहरित किया जाएगा। इसके पहले भी यहां से कई डॉक्टरों का तबादला दूसरे अस्पताल में किया गया है लेकिन उन्होंने या तो दूसरी जगह ज्वाइन करने की जगह नौकरी छोड़ दी या फिर पहुंच लगाकर फिर से जेपी अस्पताल में आ गए। हालत यह है कि जेपी अस्पताल के डॉक्टर कोलार, बैरागढ़ या गांधीनगर के अस्पताल में भी जाना नहीं चाहते। सूत्रों की माने तो इसका सीधा सा संबंध निजी प्रैक्टिस से है। जेपी बड़ा अस्पताल होने के नाते यहां के डॉक्टरों की प्रैक्टिस ज्यादा चलती हैं। डॉक्टरों को ज्यादा लाभ कमाने के बेहतर अवसर हमेशा उपलब्ध रहते हैं, यही वजह है कि कोई भी डाक्टर यहां से जाना नहीं चाहता है।