सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद पहला ही टूर्नामेंट हार गए हैं। उन्हें रविवार काे 19 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रगनानंद ने टाटा स्टील मास्टर्स 2025 के टाईब्रेक मुकाबले में हराया। इसी के साथ प्रगनानंद विश्वनाथन आनंद के बाद यह खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। विश्वनाथन आनंद यह खिताब पांच (1989, 1998, 2003, 2004, 2006) बार जीत चुके हैं। इसमें 2 बार वे संयुक्त विजेता रहे हैं।

13वें राउंड में गुकेश-प्रगनानंद को अपने-अपने मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। गुकेश को अर्जुन एरिगेसी से हार का सामना करना पड़ा। वहीं, प्रगनानंद को जर्मन ग्रैंडमास्टर विन्सेंट कीमर ने हराया।

टूर्नामेंट के आखिरी राउंड के बाद प्रगनानंद और गुकेश के 8.5-8.5 पॉइंट्स थे। इसके बाद रविवार को नीदरलैंड के विज्क आन जी में खेले गए टाईब्रेक मुकाबले से विजेता का फैसला हुआ। इसमें प्रगनानंद ने पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए गुकेश को हरा दिया और खिताब जीत लिया।

1938 से खेला जा रहा है टूर्नामेंट टाटा स्टील चेस टूर्नामेंट 1938 से खेला जा रहा है। यह हर साल जनवरी में आयोजित होता है। इसे शुरुआत में हूगोवेन्स टूर्नामेंट के नाम से जाना जाता था। इसका तीन बार नाम बदला और 2011 से इसे टाटा स्टील चेस टूर्नामेंट से जाना जाने लगा। यह राउंड-रॉबिन टूर्नामेंट हैं। इसमें दुनिया के टॉप-14 खिलाड़ी एक दूसरे के खिलाफ खेलते है। 13 राउंड खत्म होने के बाद टॉप पर रहने वाले को विजेता घोषित किया जाता है। वहीं, अगर 13 राउंड के आखिरी में कोई खिलाड़ी बराबरी पर रहते हैं तो विजेता का फैसला टाईब्रेक मुकाबले के जरिए होता है।

10 साल की उम्र में बन गए थे इंटरनेशनल मास्टर प्रगनानंद तमिलनाडु के रहने वाले हैं। उनका जन्म 10 अगस्त, 2005 को चेन्नई में हुआ था। उनके पिता रमेशबाबू तमिलनाडु स्टेट कॉर्पोरेशन बैंक में शाखा प्रबंधक के रूप में काम करते हैं, जबकि उनकी मां नागलक्ष्मी हाउस वाइफ हैं। प्रगननंदा 10 साल की उम्र में 2016 में शतरंज के सबसे युवा इंटरनेशनल मास्टर बने थे।

18 साल के गुकेश शतरंज के नए वर्ल्ड चैंपियन, सबसे कम उम्र में खिताब जीता 18 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने सिंगापुर में 11 दिसंबर 2024 को वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीता था। उन्होंने चीन के डिफेंडिंग चैंपियन डिंग लिरेन को 7.5-6.5 से फाइनल में हराया। इतनी कम उम्र में खिताब जीतने वाले गुकेश दुनिया के पहले प्लेयर बने हैं। इससे पहले 1985 में रूस के गैरी कैस्परोव ने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था। उन्हें इसी जनवरी में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।वहीं, पिछले साल सितंबर में खेले गए चेस ओलिंपियाड में गुकेश ने ओपन कैटेगरी में फाइनल गेम जीतकर भारत को खिताबी जीत दिलाई थी।

गुकेश की यह फोटो 17 जनवरी की है। जब उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
गुकेश की यह फोटो 17 जनवरी की है। जब उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

कौन हैं डी गुकेश? ​​​​​गुकेश डी का पूरा नाम डोम्माराजू गुकेश है। वह चेन्नई के रहने वाले हैं। गुकेश का जन्म चेन्नई में 7 मई 2006 को हुआ था। उन्होंने 7 साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उन्हें शुरू में भास्कर नागैया ने कोचिंग दी थी।

नागैया इंटरनेशनल चेस खिलाड़ी रहे हैं और चेन्नई में चेस के होम ट्यूटर हैं। इसके बाद विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को खेल की जानकारी देने के साथ कोचिंग दी। गुकेश के पिता डॉक्टर हैं और मां पेशे से माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट हैं।

#गुकेश, #चेस, #वर्ल्डचेसचैंपियन, #खेल, #टूर्नामेंट, #चेसटूर्नामेंट, #भारतीयखिलाड़ी