सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  वीरजी साहिब के मार्गदर्शन में आज हम बात करेंगे दुर्गा सप्तशती के इस श्लोक **’या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’** के अर्थ पर।

इस श्लोक का अर्थ है कि “जो देवी समस्त प्राणियों में प्रकृति के रूप में स्थित हैं, उन्हें बारंबार प्रणाम।” इसमें माँ दुर्गा को सृष्टि की शक्ति, ऊर्जा और प्रकृति के रूप में वर्णित किया गया है। वह धरती, वृक्ष, नदियों, पर्वतों, हवा, जल और अग्नि में स्थित हैं, और इस संसार की हर रचना का आधार हैं।

माँ प्रकृति के प्रति सम्मान और उसकी रक्षा करना, माँ दुर्गा की पूजा और उन्हें प्रणाम करने के समान है। वीरजी साहिब हमें यह सिखाते हैं कि हमारे जीवन का आधार माँ प्रकृति है, और इसे सहेजना हमारा सर्वोच्च कर्तव्य होना चाहिए।

“या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता” के श्लोक का संदेश हमें सिखाता है कि हमें पर्यावरण और प्रकृति के हर तत्व की रक्षा करनी चाहिए।