सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: जैसे-जैसे दुनिया जलवायु परिवर्तन का सामना कर रही है, लोग अपने पर्यावरणीय प्रभाव के प्रति अधिक सजग हो रहे हैं। इसका असर उनकी जीवनशैली में देखा जा रहा है, विशेषकर घरों की पसंद में। अब अधिकतर खरीदार ऐसे घरों की तलाश में रहते हैं जो पर्यावरण के अनुकूल हों, कम ऊर्जा खपत करते हों, और जिनमें ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो। यह प्रवृत्ति रियल एस्टेट मार्केट को बदल रही है, जहां डेवलपर्स अधिक से अधिक पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपना रहे हैं।

कनोदिया ग्रुप और कनोदिया सीमेंट के संस्थापक डॉ. गौतम कनोदिया कहते हैं, “सस्टेनेबल रहने की जगहों की बढ़ती मांग एक बड़े सामाजिक बदलाव का संकेत है। खरीदार अब अपने कार्बन फुटप्रिंट के प्रति सजग हैं और पर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपना रहे हैं।”

इसके अलावा, ग्रीन सर्टिफिकेशन जैसे LEED और BREEAM का महत्व भी बढ़ रहा है। ये प्रमाण पत्र सुनिश्चित करते हैं कि भवनों का निर्माण और संचालन जिम्मेदार और संसाधन-कुशल तरीके से किया जा रहा है।

संड्रीम के सीईओ हर्ष गुप्ता कहते हैं, “ग्रीन सर्टिफिकेशन पर्यावरण-अनुकूल खरीदारों के लिए महत्वपूर्ण हो रहे हैं। ये प्रमाण पत्र यह सुनिश्चित करते हैं कि परियोजनाएं पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए बनाई जा रही हैं।”

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 7,000 से अधिक IGBC ग्रीन-प्रमाणित परियोजनाएं हैं, जिनका कुल निर्मित क्षेत्र 1,370 मिलियन वर्ग फीट है। यह डेटा इस उद्योग की पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और स्थिरता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।