नई दिल्ली । केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना तथा रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई भू-राजनीतिक चिंता के बीच अमेरिका विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने लगातार छठे महीने बिकवाली जारी रखते हुए मार्च में भारतीय शेयर बाजारों से 41,000 करोड़ रुपए की निकासी की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल तथा मुद्रास्फीति की वजह से निकट भविष्य में भी एफपीआई के प्रवाह में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने पिछले महीने शेयर बाजारों से 41,123 करोड़ रुपए की निकासी की है।
इससे पहले उन्होंने फरवरी में शेयर बाजारों से 35,592 करोड़ रुपए और जनवरी में 33,303 करोड़ रुपए निकाले थे।विदेशी निवेशक पिछले छह महीनों से शेयरों से निकासी कर रहे हैं। अक्टूबर, 2021 और मार्च, 2022 के बीच उन्होंने भारतीय बाजारों से 1.48 लाख करोड़ रुपए निकाले हैं।
बाजार के विशेषज्ञों ने कहा है कि एफपीआई की निकासी की मुख्य वजह ब्याज दरों के वातावरण में बदलाव और फेडरल रिजर्व द्वारा प्रोत्साहनों को समाप्त करने का संकेत है। कई और कारण भी हैं जिनकी वजह से एफपीआई भारतीय बाजार से निकासी कर रहे हैं। इनमें भारत का महंगा होना, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, रुपए की कमजोरी और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे कारण शामिल हैं।
यही वजह है वे सुरक्षित निवेश विकल्प की ओर जा रहे हैं। यदि फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी को टालने का संकेत दिया जाता, तो संभवत: हमें इस स्तर की निकासी देखने को नहीं मिली। इसी तरह के तर्क देते हुए एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रुख, भू-राजनीतिक स्थिति को लेकर चिंता की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं।