फुटवेयर उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम स्थान है और यह भविष्य में और भी मजबूत होने की संभावना दिखाता है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले पांच वर्षों में इस क्षेत्र में 10 लाख से ज्यादा नई नौकरियां उत्पन्न होने का अनुमान है। यह उभरते हुए रोजगार अवसर न केवल घरेलू बाजार बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी फुटवेयर उद्योग की वृद्धि को बढ़ावा देंगे।
देश में लेदर और नॉन-लेदर फुटवेयर दोनों के उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है। इन दोनों श्रेणियों में रोजगार के अवसरों का विस्तार हो रहा है, जो तकनीकी, डिजाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता की आवश्यकता को बढ़ा रहे हैं। भारत की विशाल युवा आबादी और बढ़ती उपभोक्ता मांग के साथ-साथ, यह उद्योग आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
फुटवेयर उद्योग को लेकर विशेष रूप से सरकार की नीतियां और योजनाएं, जैसे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’, इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित कर रही हैं और रोजगार के नए अवसरों को उत्पन्न करने में सहायक हो रही हैं। लेदर और नॉन-लेदर उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के साथ, यह उद्योग उच्च गुणवत्ता और नवीनतम डिज़ाइन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रहा है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रोजगार सृजन के लिए यह उद्योग एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, और आने वाले वर्षों में यह उभरते हुए विकास और समृद्धि की दिशा में भारत की भूमिका को मजबूत करेगा। इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर सिर्फ विनिर्माण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि खुदरा, वितरण और डिजाइनिंग जैसे क्षेत्रों में भी इन अवसरों का फैलाव हो रहा है।
हालांकि, इसके साथ-साथ कौशल विकास और प्रशिक्षण पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि युवा पीढ़ी को इस बढ़ते उद्योग से सही अवसर प्राप्त हो सकें। इसके लिए विभिन्न सरकारी और निजी संगठनों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता बढ़ेगी, ताकि इस उद्योग के लिए सक्षम और गुणवत्तापूर्ण श्रमिक तैयार हो सकें।
इस उद्योग की सफलता न केवल रोजगार सृजन में सहायक होगी, बल्कि यह भारत को वैश्विक फुटवेयर बाजार में एक प्रमुख स्थान भी दिलवाएगी। इसके साथ-साथ, यह हमारे युवाओं के लिए आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास की दिशा में एक ठोस कदम साबित होगा।
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