सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : भारत के न्यायिक इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ गया है। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने सोमवार को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस ऐतिहासिक क्षण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कई अन्य केंद्रीय मंत्री भी मौजूद रहे।
जस्टिस गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित CJI बने हैं। उनका कार्यकाल छह महीने का रहेगा और वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। इससे पहले वे 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे।
CJI गवई ने अपने करियर की शुरुआत 1985 में की थी और बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। वे 2003 में हाईकोर्ट के जज बने और बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्होंने नोटबंदी को सही ठहराने और चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक ठहराने जैसे ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई।
उनकी मां कमलताई ने इस अवसर पर कहा कि यह उनकी मेहनत और समाजसेवा का फल है। उन्होंने एक साधारण स्कूल से पढ़ाई की और हमेशा जरूरतमंदों की मदद की।
गवई ने हाल ही में कहा था कि अगर न्यायपालिका पर भरोसा टूटता है, तो लोग भीड़ का न्याय अपनाने लगते हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।
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