लोकसभा से फाइनेंस बिल 2024-25 का पास होना केवल एक विधायी प्रक्रिया नहीं, बल्कि देश की आर्थिक दिशा और विकास की प्राथमिकताओं का संकेत है। इस बार के फाइनेंस बिल में 35 संशोधनों को शामिल किया गया है, जो यह दर्शाते हैं कि सरकार बजट को ज़मीनी हकीकत के करीब लाने का प्रयास कर रही है।
इन संशोधनों में सबसे अहम निर्णय डिजिटल टैक्स को खत्म करने का है, जिससे ग्लोबल टेक कंपनियों और डिजिटल इकोनॉमी से जुड़े निवेशकों को राहत मिलेगी। इससे भारत का डिजिटल बाजार और अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, कुछ वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी को कम किया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा और घरेलू उत्पादन को भी बल मिलेगा।
फाइनेंस बिल का पारित होना केवल बजटीय प्रस्तावों को कानूनी जामा पहनाना नहीं है, बल्कि यह उस प्रक्रिया की शुरुआत है जिससे देश का आर्थिक संचालन अगले वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित होता है। लोकसभा से मंजूरी के बाद यह बिल राज्यसभा में भेजा जाता है, हालांकि चूंकि यह एक मनी बिल है, इसलिए राज्यसभा की भूमिका सीमित होती है। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलते ही यह विधि बन जाता है और लागू हो जाता है।
यह भी उल्लेखनीय है कि फाइनेंस बिल के ज़रिए केवल कर दरें तय नहीं होतीं, बल्कि यह सामाजिक कल्याण, निवेश, कृषि, उद्योग और सेवाओं से जुड़े कई क्षेत्रों को प्रभावित करता है। इसमें किए गए संशोधन यह दर्शाते हैं कि सरकार ने आम लोगों की प्रतिक्रियाओं, विशेषज्ञों की सलाह और वैश्विक रुझानों का संज्ञान लिया है।
फाइनेंस बिल का यह नया रूप बजट को अधिक व्यावहारिक और संतुलित बनाने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है। इससे जहां सरकार को अपनी नीतियों को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी, वहीं आम नागरिक को भी लाभ पहुंचने की उम्मीद है। आने वाले समय में इन संशोधनों का प्रभाव ज़मीनी स्तर पर कितना पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन फिलहाल, यह कहना उचित होगा कि संसद ने एक अहम आर्थिक दस्तावेज को पारित कर देश को एक नई दिशा देने की पहल की है।

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