आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस/आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : अटल जी पर बन रही फिल्म करने से पहले डर बहुत लगा। लेकिन सब हो गया। जल्द ही भोजपुरी सिनेमा में भी दिखूंगा लेकिन रोल मेरे हिसाब से होना चाहिए। लखनऊ मुझे दूसरा घर लगता है। अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए यह बातें शेयर की। पंकज अपनी फिल्म ‘मैं अटल हूं’ के प्रमोशन के लिए लखनऊ आए थे।

इस दौरान उन्होंने फिल्म और खुद को लेकर बात की। पेश है बातचीत के कुछ अंश-

सवाल. अटल जी पर फिल्म बन रही थी। उसमें मुख्य भूमिका को लेकर डर नहीं लगा?

जवाब. बिल्कुल डर लगा था। मुझे इस बात की चिंता हुई थी कि क्या न्याय कर पाउंगा। लेकिन फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर ने कहा कि तुम ही सही व्यक्ति हो। कुछ पत्रकार मित्रों ने भी इसके लिए हिम्मत दी। उनके भरोसे के बाद लगा कि मेहनत किया जा सकता है। उसके बाद रिसर्च शुरू किया।

सवाल. अटल बिहारी वाजपेयी को जानने के लिए कितना पढ़ना पढ़ा ?

जवाब. बहुत ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ी। उनके बहुत से इंटरव्यू देखे। करीबी लोगों से मिला, उनसे बात किया। इसमें नेता से लेकर नौकरशाह तक शामिल थे। उनके बारे में जितनी जानकारी कर सकता था किया।

सवाल. अटल की जीवन का बड़ा हिस्सा लखनऊ में गुजरा। यहां के लोगों से भी कुछ मदद ली थी क्या?

जवाब. मुस्कराते हुए …देश में जिससे भी मिलते हैं उस व्यक्ति के बाद अटल जी से जुड़े 10 किस्से हैं। लेकिन सिनेमा 2 घंटे में बनानी है। बहुत बड़ा जीवन है। उसमें बचपन, जवानी, राजनीति, साहित्य सभी कुछ चाहिए। अब ऐसे बहुत मुश्किल सब कुछ लेना होता है। लेकिन कोशिश की गई है। 19 जनवरी को फिल्म आ रही है। उसी समय पता चलेगा।

सवाल. फिल्म पहले 25 दिसंबर को आने वाली थी। लेकिन अब 19 जनवरी को आ रही है। 22 को अयोध्या में भगवान राम की प्राण- प्रतिष्ठा है। डेट कहीं इस वजह से आगे तो नहीं बढ़ी ?

जवाब. ऐसा कुछ नहीं है। फिल्म का कुछ काम अधूरा रह गया था। ऐसे में डेट आगे बढ़ानी पड़ी। यह महज एक संयोग है। 22 जनवरी के कार्यक्रम से इसका कोई लेना देना नहीं है।

सवाल. लखनऊ में फिल्म शूट करने का अनुभव कैसा रहा ?

जवाब. बहुत ही शानदार रहा। यहां के लोग बहुत अच्छे हैं। यहां से जुड़े करीब 300 से ज्यादा जूनियर कलाकारों ने फिल्म में काम किया है। हमने इससे पहले यहां कागज और मिर्जापुर जैसी फिल्म यहां पर शूट किया है। सच में मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में है। यहां के लोग बहुत अच्छे हैं।

हम यहां से जाते हैं तो लोगों से कहते है कि यूपी और लखनऊ में जाकर शूट करें। फिल्म में 50 के दशक का सीन था। तब हमको मलिहाबाद में एक गांव मिला जहां सभी घर आज भी मिट्‌टी के हैं। ऐसा गांव खोजना मुश्किल है।