भोपाल । जल संसाधन विभाग में पिछले 12 साल से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहे रिटायर्ड इंजीनियर चिंतामणि त्रिपाठी को राज्य सरकार संविदा नियुक्ति देने जा रही है। नियुक्ति के बाद त्रिपाठी को संभवत: रीवा जिले में गंगा कछार परियोजना का प्रभारी मुख्य अभियंता तैनात किया जाएगा। वे 31 जुलाई को इसी पद से रिटायर्ड हुए हैं। अभी तक राज्य सरकार ने किसी भी अधिकारी को तैनात नहीं किया गया है। खास बात यह है कि विभाग त्रिपाठी पर इस तरह से मेहरबान रहा कि रिटायरमेंट से तीन महीने पहले त्रिपाठी की सभी सजाएं माफ कर दी है, जो पूर्व अपर मुख्य सचिव एवं पूर्व ईएनसी एमजी चौबे के द्वारा दी गई थीं।

चिंतामणि त्रिपाठी (सीएम त्रिपाठी)के खिलाफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस से शिकायत की गई है। शिकायत में इन पर गंभीर आरोप हैं कि जल संसाधन विभाग ने लॉकडाउन अवधि में भी त्रिपाठी को पिछले 6 साल से भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते अटकी अधीक्षण यंत्री के पद पर प्रोफार्मा पदोन्नति दी गई। जल संसाधन विभाग के उपसचिव ने इसी साल 24 मई को इसके आदेश जारी किए। पदोन्नति पर भी सवाल उठाए गए हैं कि 2014 एवं 2015 की डीपीसी में त्रिपाठी का नाम भी नहीं था, इसके बावजूद भी उन्हें पदोन्नति दी गई है। इसको लेकर विभाग का तर्क है कि पूर्व ईएनसी एवं विभाग के अफसरों ने जुलाई 2015 में त्रिपाठी को वेतनवृद्धि रोकने की सजा दी गई थी। जिसके विरोध में त्रिपाठी ने राज्य शासन में अपील की, लेकिन शासन ने उसकी सजा को यथावत रखा। इसके 6 साल बाद त्रिपाठी ने राज्यपाल के समक्ष सजा माफ करने का अभ्यावेदन दिया। इसी को आधार  बनाकर विभाग ने त्रिपाठी की सजा को माफ कर दिया है। इसके लिए तर्क दिया है कि पूर्व ईएनसी ने सजा देने के लिए लोक सेवा आयोग से अभिमत नहीं लिया गया था। खास बात यह है कि मंत्रालय के जिन अफसरों ने त्रिपाठी की सजा माफ करने की अपील को खारिज किया था, उन्हीं अफसरों ने उनकी सजा माफ करने का रास्ता निकाल दिया है।

3 महीने में सभी आरोपों से बरी

त्रिपाठी पर विभाग इस तरह से मेहरबान रहा है कि तीन महीने के भीतर उनकी सभी सजा माफ की गईं। फिर अधीक्षण यंत्री के पद पर प्रोफार्मा पदोन्नति दी गई। इसके बाद उन्हें 300 करोड़ से बड़ी गंगा कछार परियोजना का प्रभारी मुख्य अभियंता बना दिया गया। विभागीय सूत्रों ने बताया कि त्रिपाठी को प्रभार देने के लिए इस पद को महीनों तक खाली रखा गया था। अब त्रिपाठी रिटायर्ड हो चुके हैं फिर भी किसी अन्य इंजीनियर को पदस्थ नहीं किया है। सूत्र बताते हैं कि विभाग ने त्रिपाठी को संविदा नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जो संभवत: अगली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा।

त्रिपाठी पर कई गंभीर आरोप

चिंतामणि त्रिपाठी के खिलाफ रीवा ईओडब्ल्यू में भ्रष्टाचार की शिकायत 21/2008 दर्ज की गई थी। हालांकि इस मामले में चालान पेश नहीं हुआ है। आरोप हैं कि त्रिपाठी को सहायक यंत्री से कार्यपालन यंत्री में प्रोफार्मा पदोन्नति 2008 में दी गई थी, किंतु 19 मार्च 2021 को प्रोफार्मा पदोन्नति 29 मार्च 2003 से दी गई है। जिस पर सवाल उठ रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों पर विभागीय जांच शुरू की गई और फरवरी 2015 में निलंबित किया गया। आरोप हैं कि ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया और शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई।

इनका कहना है

त्रिपाठी की संविदा नियुक्ति का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है। फैसला शासन स्तर पर होना है।

मदन डाबर, प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग

रिटायरमेंट के बाद मैं अपने गांव आ गया हूं। शासन क्या कर रहा है मुझे नहीं पता। न ही मैंने संविदा नियुक्ति के लिए कोई आवेदन किया है। मैंने 42 साल नौकरी की है। आरोपों के बारे में शिकायत करने वाले ही बता पाएंगे।

सीएम त्रिपाठी, रिटायर्ड प्रभारी मुख्य अभियंता