मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों को UPSC परीक्षा में 5 साल की आयुसीमा छूट देने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा, EWS श्रेणी के उम्मीदवारों को अब कुल 9 अटेम्प्ट (प्रयास) मिलेंगे। यह निर्णय न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे हजारों युवाओं को समान अवसर मिल सकेगा।

EWS के लिए UPSC में यह बदलाव क्यों ज़रूरी था?

जब 2019 में केंद्र सरकार ने EWS आरक्षण लागू किया, तो इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग को समान अवसर देना था। हालांकि, अन्य आरक्षित श्रेणियों (SC, ST, OBC) को जहां आयुसीमा और प्रयासों में छूट दी गई थी, वहीं EWS उम्मीदवारों को इस तरह की कोई राहत नहीं दी गई। इससे EWS श्रेणी के युवाओं को UPSC जैसी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में असमान स्थिति का सामना करना पड़ रहा था।

इस फैसले का असर

1. समान अवसरों की दिशा में सुधार – अब EWS वर्ग के छात्रों को भी वही लाभ मिलेंगे जो अन्य आरक्षित श्रेणियों को मिलते रहे हैं।

2. प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिक प्रतिनिधित्व – UPSC परीक्षा में अब अधिक संख्या में EWS वर्ग के उम्मीदवार भाग ले सकेंगे, जिससे उनकी प्रशासनिक सेवाओं में हिस्सेदारी बढ़ सकती है।

3. सामाजिक न्याय को बढ़ावा – यह फैसला भारत में समावेशी नीति और सामाजिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

4. अन्य परीक्षाओं पर असर – यह संभावना है कि अन्य राज्य स्तरीय और केंद्र सरकार की परीक्षाओं में भी इस फैसले का प्रभाव पड़ेगा, जिससे EWS वर्ग के उम्मीदवारों को अधिक लाभ मिलेगा।

चुनौतियां और आगे का रास्ता

हालांकि, यह फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। साथ ही, इस श्रेणी के उम्मीदवारों को जागरूक करने और उन्हें परीक्षा की तैयारी के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराने की जरूरत होगी।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल EWS उम्मीदवारों के लिए राहतभरा है, बल्कि यह भारतीय प्रशासनिक सेवा में सामाजिक न्याय को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब देखना यह होगा कि इस फैसले का प्रभाव अन्य राज्यों और परीक्षाओं में किस तरह देखने को मिलता है।

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