नई दिल्ली । होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड (एचसीआईएल) के उपाध्यक्ष (विपणन एवं बिक्री) कुणाल बहल ने कहा कि हाइब्रिड वाहनों पर कर की दर कम कर देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की स्वीकार्यता को तेजी से बढ़ाया जा सकता है। हाइब्रिड प्रौद्योगिकी वर्तमान में भारतीय परिस्थितियों के लिए सबसे उपयुक्त है, क्योंकि यह बाहरी चार्जिंग ढांचे पर निर्भर नहीं है। देश में हाइब्रिड वाहनों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सहित कुल कर का बोझ 43 प्रतिशत बैठता है। वहीं बैटरी वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर पांच प्रतिशत कर लगता है।
बहल ने कहा कि करों में एक बड़ा अंतर है। ऐसे में यदि सरकार हमें समर्थन देते हुए हाइब्रिड वाहनों पर कर कम करती है, तो यह एक स्वागतयोग्य कदम होगा। हम सरकार से ऐसा करने का अनुरोध करते हैं। हमें विश्वास है कि अगर वे इसे कम कर सकते हैं, तो इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ेगी। हाइब्रिड वाहन पूर्ण रूप से बिजलीचालित वाहनों की ओर बदलाव में मदद कर सकते हैं। साथ ही इनसे वाहनों से उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार उत्सर्जन के स्तर को कम करना चाहती है, हम वास्तव में इसका सम्मान करते हैं। साथ ही वे ईंधन की खपत को भी कम करना चाहते हैं। इन दोनों लक्ष्यों को हाइब्रिड वाहनों से हासिल किया जा सकता है। बहल ने कहा कि होंडा का मानना है कि हाइब्रिड देश के लिए सबसे अच्छा समाधान है, क्योंकि खरीदारों के लिए रेंज का कोई मुद्दा नहीं रहेगा और इस तरह के वाहनों के प्रदर्शन पर किसी तरह का अंकुश भी नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में हमारे अनुसार इससे (हाइब्रिड) बेहतर कुछ नहीं है।
यह अभी सबसे अच्छा समाधान है। कंपनी हाल में मुख्यधारा के हाइब्रिड खंड में उतरी है और उसने सिटी ई-एचईवी उतारी है। होंडा की 2030 तक वैश्विक स्तर पर 30 इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल उतारने की योजना है। कंपनी का उस समय तक सालाना 20 लाख इकाइयों के उत्पादन का लक्ष्य है। वाहन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी की योजना अगले 10 साल में इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में 40 अरब डॉलर का निवेश करने की है। बहल ने कहा कि वैश्विक रुख बिजली चालित वाहनों की ओर है। हम मानते हैं कि भारतीय ग्राहक वास्तव में इलेक्ट्रिक यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं।