सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में, संस्थान ने शोध और चिकित्सा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। उनके मार्गदर्शन में, डॉ. वरुण मल्होत्रा और उनकी टीम को हार्ट रेट वेरिएबिलिटी पर किए गए अध्ययन के लिए इंटरनेशनल बेस्ट रिसर्चर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
तनुशा पाठक, डॉ. दानिश जावेद, डॉ. संतोष लक्ष्मण वकोडे, डॉ. अविनाश ठाकरे, डॉ. सुनील चौहान और
डॉ. एफ. सिड्राल के साथ मिलकर किया गया यह शोध “सूर्य नमस्कार और स्टेशनरी साइकिल व्यायाम
समूहों के बीच हार्ट रेट वेरिएबिलिटी पैरामीटर्स का तुलनात्मक विश्लेषण” पर आधारित है। यह सम्मान
एम्स भोपाल की फिजियोलॉजी और माइंड-बॉडी मेडिसिन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता प्रदान
करता है। यह पुरस्कार इंटरनेशनल साइंस, टेक्नोलॉजी और रिसर्च अवार्ड्स कांग्रेस 2024 में दिया गया।
प्रो. सिंह ने इस टीम को उनके क्रांतिकारी शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय बेस्ट रिसर्चर अवार्ड प्राप्त करने पर बधाई दी। प्रो. सिंह ने कहा, ‘यह सम्मान हमारे संस्थान के शैक्षिक और शोध क्षेत्र में निरंतर उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में उभरा है। इस अध्ययन को प्रतिष्ठित इंटरनेशनल जर्नल ऑफ योगा में प्रकाशित किया गया, जिसमें सूर्य नमस्कार (SN) और स्टेशनरी साइकिल व्यायाम (SCE) के बीच हार्ट रेट वेरिएबिलिटी (HRV) पैरामीटर्स की तुलना की गई। मुख्य निष्कर्षों में यह सामने आया कि सूर्य नमस्कार ने हार्ट रेट वेरिएबिलिटी में महत्वपूर्ण सुधार दिखाए, जिससे शरीर में विश्राम और रिकवरी से जुड़ी जुड़ी गतिविधियाँ बढ़ी और हृदय स्वास्थ्य में सुधार हुआ। वहीं, स्टेशनरी साइक्लिंग ने सामान्य व्यायाम लाभ तो दिए, लेकिन शरीर में तनाव और शारीरिक परिश्रम से जुड़ी गतिविधियों को अस्थायी रूप से बढ़ाया।
यह अध्ययन इस बात को साबित करता है कि सूर्य नमस्कार जैसी योग प्रथाओं को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, साथ ही स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली भी संतुलित होती है। यह शोध यह भी दिखाता है कि सूर्य नमस्कार हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और तनाव को कम करने के लिए एक प्रभावी तरीका है, जो सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है। यह पुरस्कार तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री श्री अनबिल महेश पोय्यमोझी ने प्रदान किया, जहाँ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस शोध टीम के कार्यों की सराहना की।