सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 17 साल पहले हुए स्टाफ नर्स भर्ती घोटाले का खुलासा हुआ है। 2007 से 2012 के बीच हुए इस भर्ती घोटाले में 628 पदों पर नियुक्ति में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है, जिसमें महिलाओं के पदों पर 100 से ज्यादा पुरुषों को भर्ती किया गया, जबकि पुरुषों के लिए केवल 2 पद ही आरक्षित थे।

मप्र के पात्र उम्मीदवारों की अनदेखी करते हुए राजस्थान के अपात्र उम्मीदवारों को भी नौकरी दे दी गई। खास बात यह है कि भर्ती के लिए मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था, लेकिन कर्नाटक और तमिलनाडु के प्रमाण पत्र भी मान्य कर लिए गए।

प्रक्रिया में अनियमितताएं तत्कालीन डीन डॉ. एमके सारस्वत और डॉ. अशोक बाजपेई के कार्यकाल में हुई इस भर्ती प्रक्रिया में कई अनियमितताएं सामने आई हैं। नियुक्ति आदेश पर तत्कालीन स्क्रूटनी कमेटी के चेयरमैन डॉ. अनिल कपूर के हस्ताक्षर हैं। आश्चर्यजनक रूप से, स्क्रूटनी कमेटी का गठन फरवरी 2008 में हुआ, जबकि नियुक्ति पत्र पहले ही नवंबर 2007 में जारी कर दिए गए थे। हाल ही में एक शिकायत के बाद संभागायुक्त कार्यालय ने इस मामले की जांच शुरू की, जिसके बाद यह घोटाला उजागर हुआ।

बिना परीक्षा के सीधे साक्षात्कार मध्य प्रदेश सरकार ने 7 मई 2007 को 600 स्टाफ नर्स पदों की भर्ती की मंजूरी दी थी। एमजीएम कॉलेज, एमवाय अस्पताल, चाचा नेहरू अस्पताल, कैंसर अस्पताल और मानसिक चिकित्सालय के लिए कुल 628 पदों पर भर्ती की जानी थी। भर्ती के लिए आवेदन मप्र और राजस्थान से आए, लेकिन लिखित परीक्षा आयोजित नहीं की गई और उम्मीदवारों को सीधे साक्षात्कार के लिए बुला लिया गया।

कर्नाटक और तमिलनाडु के प्रमाण पत्र मान्य भर्ती प्रक्रिया के लिए उम्मीदवारों का मप्र का मूल निवासी होना, बीएससी नर्सिंग और जनरल नर्सिंग प्रशिक्षण पूरा करना, साथ ही मप्र नर्सिंग काउंसिल में पंजीकरण अनिवार्य था। बावजूद इसके, कर्नाटक और तमिलनाडु से आए प्रमाण पत्रों को मान्य कर नियुक्तियां की गईं। 628 पदों में से 326 सामान्य वर्ग के थे, जबकि बाकी एस