भोपाल। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस जो कि बैंकिंग उद्योग के करीब करीब शत प्रतिशत बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है के आह्वान पर बैंकों के निजीकरण के प्रयासों के विरोध में 16 एवं 17 दिसंबर 2021 को दस लाख बैंककर्मी दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल में भाग लेंगे। हड़ताल के कारण देश भर की बैंकों में काम काज ठप्प रहेगा। हड़ताल के पूर्व देश भर में बैंकों के निजीकरण के प्रयासों के विरोध में हस्ताक्षर अभियान, धरना, प्रदर्शन एवं सभाओं के आयोजन किए जा रहे हैं।
इसी तारतम्य में आज, 13 दिसंबर 2021 सोमवार को, शाम 6:00 बजे अरेरा हिल्स भोपाल स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया जोनल ऑफिस के सामने राजधानी की विभिन्न बैंकों के सैकड़ों कर्मचारी एवं अधिकारी एकत्रित हुए उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया। आंदोलित बैंक कर्मी बैंकों के निजीकरण के प्रयासों का एवं प्रतिगामी बैंकिंग सुधारों का विरोध कर रहे थे। उनकी मांग है कि बैंकिंग कानून (संशोधन) बिल वापस लिया जाए।
प्रदर्शन के पश्चात सभा हुई जिसे बैंक कर्मचारी- अधिकारी नेताओं साथी वी के शर्मा, संजीव सबलोक, अरुण भगोलीवाल, मोहम्मद नजीर कुरैशी, मदन जैन, देवेंद्र खरे, श्याम रैनवाल, संतोष जैन, वी एस नेगी ,नलिन शर्मा,आशीष तिवारी, एम जी शिंदे, गुणशेखरण, मिलिंद डेकाटे,आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने बताया कि बैंकों का निजीकरण हमारे देश, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारी आम जनता के हित में नहीं है।बैंकों का निजीकरण जन, श्रम, किसान ,मजदूर ,गरीब ,रोजगार, आरक्षण, बैंक कर्मियों की नौकरी एवं नौकरी की सुरक्षा विरोधी है।
देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण इसलिए किया था कि कई निजी क्षेत्र के बैंक बंद हो गई थी एवं कुछ ने अपने आप को दिवालिया घोषित कर दिया था। जिन लोगों ने इन बैंकों में पैसा जमा कराया था उन सभी का पैसा डूब गया था। देश के विकास एवं देश की अर्थव्यवस्था में निजी बैंकों का कुछ भी सहयोग नहीं था। देश की स्वतंत्रता के पश्चात सन 1948 से 1968 तक यानी 20 वर्ष में करीब 736 निजी क्षेत्र के बैंक बंद हो गए थे। बैंक राष्ट्रीयकरण के पश्चात भी सन 1969 से सन 2008 के दौरान 40 वर्ष में करीब 40 निजी क्षेत्र के बैंक बंद हो गए। राष्ट्रीयकरण के पश्चात राष्ट्रीय कृत बैंकों के सहयोग से देश विकास की गति पर दौड़ने लगा था।
हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, औद्योगिक क्रांति एवं आईटी क्रांति राष्ट्रीयकृत बैंकों की देन है। इन बैंकों ने देश के अंदर स्वरोजगार पैदा करने एवं रोजगार उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सन 2008 में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंदी के दौरान अमेरिका, यूरोप एवं अन्य देशों के आर्थिक संस्थान एवं निजी बैंकें ताश के पत्तों की तरह ढह गई। इस कारण ये देश आर्थिक मंदी का शिकार हुए। लेकिन उस दौरान भारत की अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीयकृत बैंकों ने ही बचाया। देश के औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने एवं उनके इशारों पर ही देश के अंदर बैंकों के निजीकरण के प्रयास जारी हैं। वक्ताओं ने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि यदि उन्होंने निजीकरण के प्रयासों को नहीं रोका तो आगामी 16 एवं 17 दिसंबर 2021 को देश भर के दस लाख बैंक कर्मचारी एवं अधिकारी, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के झंडे तले दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। इसके बाद भी यदि सरकार नहीं मानी तो बैंकिंग उद्योग में और कई लंबी लंबी हड़तालें की जाएंगी तथा आवश्यकता पड़ने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से भी बैंक कर्मचारी अधिकारी नहीं हिचकेंगे।