सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क– इंटीग्रेटेड ट्रेड– न्यूज़ नई: ईरान में राष्ट्रपति चुनाव के बाद सत्ता में बड़ा उलटफेर हुआ है। शुक्रवार को हुए मतदान में सुधारवादी नेता मसूद पेजेशकियान ने कट्टरपंथी सईद जलीली को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस जीत के बाद ईरान में नई राजनीतिक लहर देखने को मिल रही है। मसूद पेजेशकियान, जो 69 साल के हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, ने 1 करोड़ 63 लाख वोट हासिल किए, जबकि सईद जलीली को 1 करोड़ 35 लाख वोट मिले।
पिछले महीने हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की असामयिक मृत्यु के बाद यह चुनाव हुआ। 28 जून को हुए प्रारंभिक मतदान में किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक मत नहीं मिले थे, जिसके चलते शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला हुआ।
इस चुनाव के दौरान, जब इजराइल-हमास युद्ध के कारण पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है और ईरान आर्थिक संकट से जूझ रहा है, मसूद पेजेशकियान की जीत ने देश में एक नई उम्मीद जगाई है। पेजेशकियान, जो पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी के समर्थक माने जाते हैं, ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 में किए गए ऐतिहासिक परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने की प्रतिबद्धता जताई है।
मसूद पेजेशकियान की जीत के साथ ही उनके समर्थकों ने तेहरान और अन्य शहरों में जश्न मनाना शुरू कर दिया। उनकी यह जीत कट्टरपंथी नेता सईद जलीली के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई है, जिन्हें सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई का करीबी माना जाता है।
विदेश नीति में संभावित परिवर्तन
विश्लेषकों का मानना है कि पेजेशकियान के राष्ट्रपति बनने से ईरान की विदेश नीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पेजेशकियान ने 2015 की परमाणु डील को पुनर्जीवित करने और पश्चिमी देशों के साथ संबंध सुधारने का वादा किया है। हालांकि, उन्होंने देश के धार्मिक मामलों पर किसी भी परिवर्तन की बात नहीं की है।
इसलिए, यह देखना दिलचस्प होगा कि मसूद पेजेशकियान किस हद तक विदेश नीति में परिवर्तन ला सकते हैं, खासकर जब सुप्रीम लीडर का प्रभाव देश की नीतियों पर बना रहेगा।
चुनाव का व्यापक प्रभाव
मसूद पेजेशकियान की जीत से ईरान की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है, जो आने वाले समय में देश की दिशा को बदल सकता है। यह चुनाव न केवल ईरान के लिए, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।