सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: भारत, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है, जहाँ अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक कचरा अनौपचारिक क्षेत्र में असुरक्षित तरीके से निपटाया जाता है। यह गंभीर समस्या पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर रही है।
ई-वेस्ट का प्रभाव:
ई-वेस्ट में खतरनाक रसायन जैसे सीसा, पारा, और कैडमियम होते हैं, जो अगर सही तरीके से निपटाए नहीं जाते, तो मिट्टी और पानी को प्रदूषित कर सकते हैं। विशेष रूप से, अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक इन खतरनाक पदार्थों के संपर्क में आकर स्वास्थ्य जोखिम का सामना कर रहे हैं।
सरकारी नीतियाँ:
2022 में लागू किए गए ई-वेस्ट प्रबंधन नियमों के तहत कंपनियों को अपने उत्पादों के निपटान की जिम्मेदारी दी गई है। इन नियमों का उद्देश्य ई-वेस्ट प्रबंधन के लिए औपचारिक प्रणाली स्थापित करना है, जिससे अनौपचारिक क्षेत्र को संगठित किया जा सके।
सार्वजनिक-निजी सहयोग:
ई-सफाई जैसी पहलें, जो जर्मन सरकार और भारतीय संगठनों के बीच सहयोग से संचालित होती हैं, का उद्देश्य ई-वेस्ट प्रबंधन के प्रति जागरूकता फैलाना है। इन प्रोजेक्ट्स के माध्यम से रीसाइक्लिंग प्लांट्स और कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
समुदाय की भूमिका:
समुदाय और प्रौद्योगिकी के संयुक्त प्रयास से न केवल पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सकता है, बल्कि आर्थिक अवसर भी उत्पन्न हो सकते हैं।
वीरजी साहिब का संदेश है, “प्रकृति की सेवा ही सच्ची मानव सेवा है। हर व्यक्ति एक ग्रीन डोनर बन सकता है।”
इस पहल में शामिल हों और अपने हिस्से का योगदान दें, ताकि हम एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण की ओर बढ़ सकें।