नई दिल्ली । भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान से अच्छे रिश्तों में तालिबान के काबिज होने के बाद व्यापार भी प्रभावित होने वाला है। दरअसल, दोनों देशों के व्यापारिक संबंध भी सदियों पुराने हैं। दोनों देशों की भौगोलिक निकटता और ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए भारत अफगानिस्तान का नेचुरल ट्रेडिंग पार्टनर है और दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार है। अफगानिस्तान में पिछले दो दिनों में आए राजनीतिक बदलाव की वजह से भारत में ड्राई फ्रूट्स के भाव में तेजी आने लगी है।
कारोबारियों ने कहा है कि अफगानिस्तान में मचे राजनीतिक उथल-पुथल के बाद आयात बाधित हुआ है, इस वजह से जम्मू-कश्मीर में ड्राई-फ्रूट्स के भाव बढ़ गए हैं। कारोबारियों का कहना है कि वे अफगानिस्तान से पिस्ता, बादाम, अंजीर, अखरोट जैसे बहुत से ड्राई फ्रूट्स मंगाते हैं। पिछले 15 दिन से अफगानिस्तान से आयात नहीं हो पा रहा है, इस वजह से बाजार में सूखे मेवे की किल्लत होने लगी है। जम्मू ड्राई फ्रूट्स रिटेलर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ज्योति गुप्ता ने कहा, “अफगानिस्तान से आयात पिछले करीब महीने भर से बाधित हो रहा है। पिछले 15 दिन से अफगानिस्तान से कोई भी सामान नहीं आ पा रहा है। इस वजह से भारत में ड्राई फ्रूट्स के भाव बढ़े हैं।”
पिछले कुछ वर्षों में अफगानिस्तान से सूखे मेवों के आयात में और तेजी आई है। अफगानिस्तान से भारत को होने वाले निर्यात में 99 फीसदी हिस्सा कृषि और उससे जुड़े उत्पादों का है। लेकिन अफगानिस्तान में एक बार फिर चरमपंथी तालिबान ने सत्ता अपने हाथ में ले ली है। इससे दोनों देशों के कारोबारी रिश्ते प्रभावित सकते हैं। भारत के लिए अफगानिस्तान सूखे मेवे का एक बड़ा स्रोत है। गृहयुद्ध के दौरान भी देश में सूखे मेवे, बादाम या शहतूत की भरपूर पैदावार हुई है। तालिबान के उभार से अफगानिस्तान से सूखे मेवे, शहतूत और बादाम की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है। सूखे मेवे के साथ ही अफगानिस्तान से भारी मात्रा में सफेद शहतूत का आयात किया जाता है। जानकारों का कहना है कि तालिबान के दौर में रिश्ते पहले जैसे नहीं रह जाएंगे। यानी इस दिवाली लोगों को अफगानी सूखे मेवों और बादाम की कमी का सामना करना पड़ सकता है।