सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: दिल्ली कैपिटल्स के तेज गेंदबाज खलील अहमद का मानना है कि फास्ट बॉलर के लिए फिटनेस सबसे जरूरी है। स्किल सेकंडरी ऑप्शन है।
26 साल के इस गेंदबाज ने कहा- ‘जब मैं टीम इंडिया से ड्रॉप हुआ, तो मुझे फिटनेस की कीमत पता चली।’ खलील ने आखिरी इंटरनेशनल मैच 2019 में खेला था। पंत की वापसी पर खलील कहते हैं कि वे पहले से ज्यादा निडर, कॉन्फिडेंट और मैच्योर होकर लौटे हैं।
खलील इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2024 के टॉप-5 विकेट टेकर बॉलर्स में शामिल हैं। खलील दिल्ली की ओर से 6 विकेट ले चुके हैं।
खलील ने दैनिक भास्कर से अपने करियर, पंत की वापसी पर बात की…
भास्कर के सवालों पर खलील अहमद के जवाब
सवाल- डोमेस्टिक में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, IPL भी अच्छा जा रहा है, लेकिन लंबे समय से टीम इंडिया में मौका नहीं मिला?
जवाब- जब मैं भारतीय टीम से ड्रॉप हुआ तो महसूस हुआ कि वापसी के लिए क्या करना है, क्या सुधार करना है। अपनी बॉडी को कैसे मेंटेन करना है। जब मैं टीम इंडिया में नहीं था, तब मुझे काफी बुरा लग रहा था, लगा कि मैं कैसे बेहतर बॉलर बनूं, कैसे फिर इंडिया के लिए खेलूं।
जब आप इंडिया के लिए ब्लू जर्सी में खेलते हैं, तो उसकी फीलिंग ही अलग होती है। आपको अलग ही गर्व महसूस होता है। फिर जब आप भागते-भागते रुक जाते हो, तब आपको छोटी-छोटी चीजों की अहमियत के बारे में पता चलता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ, उस दौर में मैंने अपने आपको काफी ग्राइन्ड किया है।
सवाल- ड्रॉप होने के बाद खुद को कैसे बेहतर बनाया?
जवाब- फास्ट बॉलर के लिए लाइफ में सबसे ज्यादा जरूरी रहती है उसकी बॉडी। उसके बाद स्किल्स सेकंडरी ऑप्शन है। मैंने खुद को काफी फिट किया है। अपनी बॉडी पर काफी वर्कलोड डाला, जिससे मैं बेहतर फास्ट बॉलर बन सकूं। अपने ट्रेनर के साथ फिटनेस पर काम किया, ताकि मैं लंबे समय तक खेल सकूं। मुझमें शुरू से कॉन्फिडेंस था कि अगर मैं लंबे समय तक खेलता रहूंगा तो अच्छे स्पेल्स अपने आप आएंगे। आप खेलते हो तो आप सुधर जाते हो। आप हमेशा 10 विकेट नहीं लेते हो, आपको कभी एक विकेट ही मिलता है और कभी विकेट भी नहीं मिलता।
जब मैं खेलता था, विकेट नहीं मिलते तो मैं सोचता था कि गेंद को कैसे बेहतर फेंक सकता था। मैं स्विंग पर कैसे मास्टरी कर सकता हूं। उसके लिए मैं क्या कर सकता हूं। हर पिच पर गेंद अलग-अलग बिहेव करती है। हर बैट्समैन का अलग खेलने का स्टाइल होता है। जब मैंने खेला तो यह सब चीजों को जाना। जब मैं टीम से बाहर था तो इस नॉलेज के आधार पर अपनी गेंदबाजी को सुधारने पर काम किया। मैंने स्किल्स पर काम किया और फिटनेस पर काम किया।
सवाल- भारतीय सिलेक्टर्स लंबे समय से अच्छा फास्ट बॉलर तलाश रहे हैं, खुद के कितने चांस देखते हैं?
जवाब- मेरे सामने जो भी मैच आया, चाहे वो डोमेस्टिक हो या प्रैक्टिस मैच, मैंने हमेशा यही सोचकर खेला है कि यहां अपना बेस्ट यानी 100 परसेंट दूंगा। खुद को पूरा झोंक दूंगा। जब आप फ्यूचर के बारे में सोचते हो, तो प्रेजेंट से हट जाते हो। मेरा माइंड सेट है, चाहता हूं कि मैं प्रेजेंट में रहूं। अपना कल बेहतर बनाने के लिए आज के दिन मैं क्या अच्छा कर सकता हूं। मैंने इंडिया के लिए खेला है। जब आप बॉल को लेकर भागते हो और लोग इंडिया-इंडिया चिल्लाते हैं, उसकी फीलिंग अलग ही होती है। मैंने उसे महसूस किया है। मेरा लक्ष्य फिर उसी फीलिंग को महसूस करना है। उसके लिए जो भी काम करना होगा करूंगा। मेरा टारगेट इंडिया के लिए खेलना ही है। हालांकि, यह अपने हाथ में नहीं है।