भोपाल । प्रदेश के सागर जिले के एक कॉलेज ने छात्र से फीस तो वसूल ली लेकिन परीक्षा में नहीं बैठने दिया। मामला जिला उपभोक्ता आयोग के पास आया तो अपने फैसले में आयोग ने ब्याज के साथ राशि लौटाने का फैसला सुनाया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, सागर जिले के छात्र ने सागर होम्योपैथी मेडिकल कालेज में बीएचएमएस में प्रवेश लिया। उसने द्वितीय वर्ष की फीस भी जमा कर दी, लेकिन उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया। उससे द्वितीय वर्ष का भी फीस ले लिया गया। विद्यार्थी ने फीस और मूल अंकसूची वापस मांगी तो उसे कालेज ने नहीं लौटाया। दरअसल, सागर जिले का छात्र रवि आनंद सिंह चंदेल ने जिला उपभोक्ता आयोग में सागर होम्योपैथी मेडिकल कालेज हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के संचालक पीके ताम्रकार के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत की थी।
आयोग ने भी उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। आयोग ने निर्णय सुनाया था कि बीएचएमएस द्वितीय वर्ष की ली गई फीस 24,680 रुपये अदायगी दिनांक से 9 फीसद ब्याज के साथ और डेढ़ हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि भी देना होगी। इसके बाद संस्थान ने फिर से 2009 में सागर होम्योपैथी कालेज ने फैसले के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील लगा दी थी। 13 साल बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन फीस वापस देने के निर्णय को निरस्त कर दिया, बल्कि सिर्फ दस्तावेज वापस करना होगा।
आयोग ने कालेज प्रशासन को आदेश देते हुए कहा कि कालेज ने विद्यार्थी के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। कालेज को दसवीं व बारहवीं की मूल अंकसूची और चरित्र प्रमाण पत्र जल्द वापस करने का आदेश दिया। सागर मेडकिल होम्योपैथी कालेज ने तर्क रखा कि छात्र ने बीएचएमएस प्रथम वर्ष में 2006 में प्रवेश लिया था। बीएचएमएस कोर्स के लिए काउंसिलिंग कर प्रवेश लिया जाता है। छात्र द्वारा प्रथम वर्ष का शुल्क जमा किया था। वह परीक्षा में अनुपस्थित रहा। कोर्स में प्रवेश लेने के बाद उसे निरस्त नहीं किया जाता है। छात्र ने स्वयं ही कोर्स को पूरा करने में रूचि नहीं दिखाई। कोर्स पूरा नहीं हुआ। इस कारण उसे डिग्री नहीं दी गई। आयोग ने इस तर्क को खारिज कर दिया।