सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ई प्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने डायबिटीज के इलाज के लिए एक नया रास्ता खोज निकाला है. उन्होंने एक ऐसे प्रोटीन तैयार किया है, जो डायबिटीज के कारण होने वाले नुकसान को रोक सकता है. शोधकर्ताओं ने एक विशिष्ट प्रोटीन आईएल-35 की खोज की है, जो सूजन पैदा करने वाले केमिकल का उत्पादन करने वाले सेल्स को घटाता है. इससे अग्नाशय सेल के होने वाले प्रभाव को कम किया जाता है. यह प्रक्रिया टाइप 1 डायबिटीज और ऑटोइम्यून डायबिटीज मेलेटस में पॉजिटिव व महत्वपूर्ण योगदान देती है |

केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस स्टडी इन साइंस और टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने यह खोज की है. शोधकर्ताओं के मुताबिक इन निष्कर्षों का अर्थ है कि आईएल-35 इम्यून सिस्टम की रक्षा करता है. साथ ही यह डायबिटीज के एक नए उपचार का ऑप्शन देता है. हालांकि, इस पूरे सिस्टम को समझने और क्लिनिकल ट्रायल में आईएल-35 आधारित मेडिकल साइंस को आगे बढ़ाने के लिए अभी और अध्ययन की आवश्यकता है. |

शोधकर्ताओं का क्या कहना?

शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया भर के विकासशील देशों के बच्चे और किशोर डायबिटीज महामारी से प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में डायबिटीज का प्रभावी उपचार समय की मांग है. आईएल-35 कुछ खास सीरीज का एक विशेष प्रोटीन, आईएल-12ए और ईबीआई-3 जीन द्वारा एन्कोड किया गया. शोध के अनुसार इस खोज ने, विशेष रूप से नए टाइप-1 और ऑटोइम्यून डायबिटीज इलाज में आईएल-35 में वैज्ञानिकों की रुचि को बढ़ाया है |

स्टडी के बारे में

गुवाहाटी स्थित भारत सरकार के तहत एक ऑटोनोमस इंस्टीट्यूट (इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस स्टडी इन साइंस और टेक्नोलॉजी) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशीष बाला, डायरेक्टर व प्रोफेसर आशीष के मुखर्जी और रिसर्च स्कॉलर रतुल चक्रवर्ती के नेतृत्व में आईएल-35 से संबंधित जीन, जीन-डिजीज कंपैटिबल और डीटेल एक्सपेरिमेंट रिव्यू का नेटवर्क फार्माकोलॉजिकल एनालिसिस किया गया. इस एनालिसिस ने इम्यून-सूजन, ऑटो-इम्युनिटी, नियोप्लास्टिक और एंडोक्राइन डिसऑर्डर से जुड़े पांच बीमारियां- इंटरैक्टिव जीन की पहचान की है |

आईएल-35 किसमें मदद कर सकता है

शोधकर्ताओं के मुताबिक आईएल-35 टाइप 1 और ऑटोइम्यून डायबिटीज से बचने में मदद करता है. यह मैक्रोफेज सक्रियण, टी-सेल प्रोटीन और नियामक बी सेल्स को कंट्रोल करता है. आईएल-35 ने अग्नाशयी बीटा सेल को इम्यून सेल्स पर प्रभाव डालने से रोक दिया. इसके अलावा, आईएल-35 ने दाहक केमिकल का उत्पादन करने वाली विशेष इम्यून सेल्स को कम किया. ये अग्नाशयी सेल के प्रभाव को कम करते हैं जो टाइप 1 डायबिटीज और ऑटोइम्यून डायबिटीज मेलेटस में एक महत्वपूर्ण योगदान हैं |

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