सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस / आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर में धर्मपाल साहित्य में भारत- विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

यह कार्यक्रम सामाजिक विज्ञान विद्याशाखा एवं परिसरीय शोधकेंद्र के संयुक्त उपक्रम में आयोजित किया गया। इस परिचर्चा में मुख्य वक्ता श्री संतोष कुमार वर्मा, उपसंचालक स्वराज संस्थान भोपाल एवं विशिष्ट वक्ता डॉ. मुकेश कुमार मिश्रा, निदेशक दत्तोपंत ठेंगडी शोध संस्थान भोपाल उपस्थित रहे तथा परिसर के प्रभारी निदेशक प्रो. सुबोध शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं शोध केंद्र समन्वयक तथा सामाजिक विज्ञान विद्याशाखा अध्यक्ष प्रो, नीलाभ तिवारी मौजूद रहे।

इस परिचर्चा में मुख्य वक्ता श्री संतोष कुमार वर्मा ने धर्मपाल की रचना “भारतीय चित्त, मानस और काल” के माध्यम से भारत की परंपरागत संस्कृति एवं शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट वक्ता डॉ मुकेश मिश्रा, निदेशक दत्तोपंत ठेंगडी शोध संस्थान भोपाल ने अपने वक्तव्य में बताया कि धर्मपाल का साहित्य व्यापक है।

अनेक विषयों पर उनकी रचनाएं प्रकाशित हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रचार प्रसार में धर्मपाल साहित्य का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा। सामाजिक विज्ञान विद्याशाखा के अध्यक्ष एवं शोधकेंद्र समन्वयक प्रो. नीलाभ तिवारी ने कहा कि आज की यह परिचर्चा छार्जा के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगी तथा शोध छात्रों के लिए इस विषय में नई शोध संभावनाएं उत्पन्न होगी।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रभारी निदेशक प्रो. सुबोध शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार संस्कृत के बिना संभव नहीं हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों को संस्कृत साहित्य के साथ-साथ धर्मपाल साहित्य का अध्ययन एवं चिंतन करना चाहिए। इस परिचर्चा में परिसर के छात्रों ने वक्ताओं से प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
कार्यक्रम की समन्वयिका डॉ. अर्चना चौहान द्वारा परिचर्चा का विषय प्रवर्तन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ मंजू सिंह द्वारा एवं डॉ अवनी शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।