सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्कआईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: एक्टर जितिन गुलाटी बैंक की नौकरी छोड़कर मॉडलिंग की दुनिया से एक्टिंग में आए। वेब सीरीज ‘काला’ में ट्रांसजेंडर और ‘बंबई मेरी जान’ में गैंगस्टर के किरदार में एक्टर को पसंद किया गया था। इन दिनों वो नेटफ्लिक्स की सीरीज ‘त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर’ में देसी घोड़ा बनकर चर्चा में हैं।

हाल ही में जितिन गुलाटी दैनिक भास्कर के मुंबई ऑफिस में आए। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जब लोग उन्हें देसी घोड़ा कहकर बुलाते हैं तो बहुत स्पेशल फीलिंग होती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मौका मिला, राहुल द्रविड़ की बायोपिक में काम करना चाहेंगे। आइए जानते हैं कि सवाल-जवाब के दौरान जितिन गुलाटी ने और क्या कहा…..

अब तो आप जहां भी जाते होंगे देसी घोड़ा के नाम से फेमस हो जाते होंगें?

जब लोग देसी घोड़ा बोलते हैं तो यह सुनकर उस समय बहुत ही स्पेशल फीलिंग होती है। मैंने पहले भी कई किरदार निभाए हैं। लेकिन इस किरदार को लेकर लोग जिस तरह की बातें कर रहे हैं। वह मेरे लिए नई चीज है। दूसरी चीज आजकल गुरु जी करके बहुत मैसेज आ रहे हैं।

बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद कुछ समय के लिए पार्ट टाइम प्रोफेसर का जॉब किया था। इस सीरीज को देखकर मेरे बहुत सारे स्टूडेंट्स के मैसेज आते हैं कि सर ये तो आपने सिखाया नहीं था। ऐसा कहकर लोग मजे ले रहे हैं। इसके लिए सीरीज के मेकर को धन्यवाद देना चाहूंगा।

अब तक आपने जो किरदार निभाए हैं, उसमें लुक भी अलग रहा है?

मैंने आज तक जितने भी किरदार किए हैं। वो सभी अलग- अलग लुक के रहे हैं। चाहे वो पहली फिल्म ‘वार्निंग’ रही हो, जिसमें मूंछें थी। उसके बाद ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ में क्लीन शेव लुक था। इस फिल्म से काफी लोग पहचानते हैं। उसके बाद ‘काला’, ‘बंबई मेरी जान’, ‘इनसाइड एज’ में जो भी किरदार रहे हैं। उसमें या तो चश्मा दिया गया, या फिर मूंछें,दाढ़ी और लंबे बाल थे। काफी लंबे समय के बाद ऐसा रोल आया है, जैसे रोड पर घूमता हूं, वैसा है। इसलिए लोग किरदार से पहचानते हैं।

जब इस सीरीज के लिए आपको नरेशन दिया गया तब किरदार को लेकर क्या फीलिंग थी?

हमने इस दुनिया को कभी देखा ही नहीं था। कॉमेडी को थ्रिलर की तरह ट्रीट करना एकदम नया था। हर किरदार को बहुत ही बारीकी के साथ लिखा गया था। पुनीत कृष्णा जी पूरा रिसर्च कर चुके थे। उन्होंने पूरे प्रोसेस को समझाया। मेरे लिए तैयारी करने के लिए सब कुछ स्क्रिप्ट था। हर किरदार का अलग मतलब भी होता है। मेरा किरदार भले ही देसी घोड़ा है, लेकिन अगर दिक्कत होती है तो वह चूहा भी बन जाता है।

खुद को देसी घोड़ा की दुनिया में ढालने का प्रोसेस क्या था?

‘त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर’ और ‘काला’ की शूटिंग एक साथ चल रही थी। काला की शूटिंग कोलकाता में रही थी और त्रिभुवन की शूटिंग नोएडा में चल रही थी। भाषा को लेकर मुझे कोई समस्या नहीं थी। नोएडा में मैंने काम किया है, मुझे पता है कि वहां के लोगों का बोलने का लहजा क्या है। मेरे लिए जरूरी यह था कि जब परफॉर्म करूं तो नाटकीय ना लगे। पुनीत कृष्णा और अमृत राज गुप्ता ने ह्यूमन इमोशन को बहुत ही बारीकी से पेश किया है।

रियल लाइफ में किसी देसी घोड़े जैसे शख्स से मुलाकात हुई है, जब आपने अपनी तरफ से कोई रिसर्च किया होगा?

मैंने अपनी तरफ से कोई रिसर्च नहीं किया है। मेरी सारी रिसर्च पुनीत सर के माध्यम से ही थी। शो के बाद ऐसे मैसेजेस जरूर आए हैं। कुछ लोग रियल लाइफ में देसी घोड़ा समझ बैठे हैं।

एक तरफ आप ‘काला’ कर रहे थे जिसमें अलग तरह का किरदार था। ‘त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर’ में अलग किरदार। एक किरदार से दूसरे किरदार में एक ही समय में खुद को चेंज कैसे करते थे?

पहले जितनी तैयारी हो सके कर लेना चाहिए। ‘काला’ में ट्रांसजेंडर प्ले कर रहा था। उसकी एक जर्नी है। उसके बारे में रिसर्च कर चुका था। जब आप किसी सेट पर पहुंचते हैं तो उस सेट की दुनिया आपको अपने अंदर ले लेती है। खुद को चेंज करने की जरूरत नहीं पड़ती है।

मैं जो किरदार प्ले करता हूं मुझे लगता है कि मेरे से बाहर है। एक बार के. के. मेनन जी ने कहा था कि हमारे अंदर राम से लेकर रावण तक हर कोई होता है। मेरे अंदर शायद एक सीरियल किलर भी होगा। मेरी जिंदगी में ऐसी सिचुएशन नहीं आई, जो उस इमोशन को बाहर ले आए। हमारे अंदर बहुत सारे किरदार हैं। काला के सेट पर अलग एनर्जी और अलग लोग थे।