भोपाल । राजधानी के भेल कारखाने की तीनों कैंटीनों के संचालन पर कोरोना के कारण ग्रहण लग गया है। भेल प्रबंधन सबसिडी के बगैर ही कैंटीनों का संचालन शुरू करना चाह रहा है। वहीं भेल कर्मचारियों की तीनों प्रतिनिधि यूनियनें राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस, ऑल इंडिया भेल एम्प्लोई यूनियन, भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी निरंतर बिना सबसिडी के कैंटीनों का संचालन करने का विरोध कर रहे हैं।

राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष आरडी त्रिपाठी ने साफ कह दिया है कि भेल प्रबंधन को कैंटीनों के संचालन के लिए सबसिडी देनी पड़ेगी। यदि सबसिडी नहीं दी जाती है तो कैंटीनों का संचालन नहीं करें। वहीं ऑल इंडिया भेल एम्प्लोई यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव रामनारायण गिरी ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों की सुविधाओं में कोई कटौती नहीं होने देंगे। भारतीय मजूदर संघ भेल भोपाल के अध्यक्ष विजय कठैत का कहना है कि भेल प्रबंधन कोरोना का बहाना बनाकर सिर्फ कर्मचारियों की ही सुवधिा में क्यों कटौती कर रहा है। अधिकारियों की सुविधाओं पर खर्च किए जाने वाले खर्चों पर भी कटौती की जाए। इससे भेल में कर्मचारियों व अधिकारियो के खर्चों में की जा रही कटौती में भेदभाव न हो।

बता दें कि भेल कारखाने में तीन कैंटीनों का संचालन बीते 60 सालों से हो रहा है। कर्मचारियों, अधिकारियों, ठेका श्रमिकों को सस्ता खाना और नाश्ता मिल सके, इसके लिए भेल प्रबंधन कैंटीनों का संचालन कराने के लिए सब्सिडी देता है। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में भेल कारखाने की तीनों कैंटीनों का संचालन बंद कर दिया। अब भेल प्रबंधन फिर से कैंटीनों को शुरू करने के लिए सब्सिडी नहीं दे रहा है। इस तरह वह सालभर में चार से पांच करोड़ रुपये बचाना चाहता है। इसका तीनों प्रतिनिधि यूनियनें विरोध कर रही हैं। यदि सब्सिडी बंद हो जाएगी तो भेल कर्मचारियों को खाने की थाली 30 रुपये में मिलेगी, जो 10 रुपये की मिलती रही है। वहीं नाश्ता 10 रुपये में मिलेगा, जो दो रुपये में मिलता रहा है।