भोपाल । गांव के दबंगों ने दूल्हा बने दलित आरक्षक को घोड़ी नहीं चढ़ने दी। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस फोर्स बुलाकर सुरक्षा में दूल्हे को घोड़ी पर बिठाकर गांव में बारात घुमाई गई। उधर इस मामले के राजनीतिक रंग लेने के बाद टीआई को निलंबित कर दिया गया है। यह घटना छतरपुर जिले के भगवां थाने के ग्राम कुंडलया की है। गांवों में आज भी दलितों पर दबंगों का इतना आतंक है कि वे कानून के रखवालों को तक को नहीं बख्श रहे हैं। शादी में घोडी चढने के लिए दूसरों की रक्षा करने वाले पुलिस जवान को खुद की सुरक्षा के लिए पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी है। जानकारी के अनुसार टीकमगढ़ जिला मुख्यालय में कोतवाली में पदस्थ आरक्षक दयाचंद पुत्र भागीरथ की शादी थी। आरक्षक दयाचंद दलित समाज से संबंध रखता है।
आरक्षक 9 फरवरी को घोड़ी पर चढ़कर अपनी दुल्हनियां को लाने के लिए बाजे गाजे के साथ घर से निकला, जब गांव में उसकी दूल्हा निकासी की रस्म हो रही तभी यह बात गांव के दबंगों को पता चलते ही जरा भी रास नहीं आई। दबंगों ने गाली-गलौज करते हुए दूल्हा बने दलित आरक्षक को घोड़ी चढ़ने से रोक दिया और विवाद करने लगे लेकिन दूल्हे के परिवार ने मौके की नजाकत व दबंगों के तेवर देखकर दूल्हे को समझाइश देकर मना लिया और बिना राछ के ही सभी वापस लौट गए, इसके बाद बारात गांव से रवाना हो गई। यह बात आरक्षक को नागवार गुजरी और उसने अपने परिजनों के साथ पुलिस और प्रशासन को इस पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी।
एक नौजवान पुलिस आरक्षक की शादी के दिन उसके ही गांव में घोड़े पर बैठकर दबंगों द्वारा राछ नहीं निकलने देने की खबर ने पूरे जिले के पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मचा दी। 10 फरवरी को जब दूल्हा बारातियो सहित दुल्हन की विदा कराके कुंडलया पहुंचा, तभी छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर, बड़ामलहरा और बिजावर अनुभाग के कई थानों के पुलिस बल सहित कुंडलया पहुंच गए। गांव में कड़ी सुरक्षा के बीच दुल्हन विदा करा के गांव लौटे दलित दूल्हे को फिर से घोड़ी पर बिठाया और गांव में उसकी राछ निकासी कराके विवाह की अन्य रस्में पूरी कराई हैं। कलेक्टर ने दूल्हे को गुलदस्ता भेंट करके शुभकामनाएं भी दीं। इस मामले में आरक्षक दूल्हे दयाचंद ने बताया कि रात के समय दूल्हा निकासी की रस्म के दौरान गांव के दबंगों ने उसे घोड़ी चढ़ने से रोका और डीजे वापस करवा दिया था। दरअसल गांव में दलित के घोड़ी पर नहीं चढ़ने की परंपरा रही है, इस परंपरा को मैंने तोड़ा है।
अब देखते है कि आगे क्या होता है। एएसपी विक्रम सिंह ने बताया कि गांव मेें हालात पूरी तरह से सामान्य हैं, विवाह की सभी रस्में पूरी कराई जा चुकी हैं। एक आरोपित के खिलाफ धारा 151 के तहत कार्यवाही की गई है। गांव में पुलिस अभी भी सतर्क है। दबंगों ने दूल्हा बने दलित आरक्षक को नहीं चढ़ने देने के मामले में राजनीति भी गरमा गई है। इस मामले में अब कांग्रेस और भाजपा दोनों दल टवीटर वार में आमने सामने आ गए हैं। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने टवीट करते हुए कहा है कि यह विषय संज्ञान में आया है। बारात नहीं रूकी, न रोकी गई। शादी के पहले की रस्म थी, बारात धूमधाम से निकली है। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर बोला हमला है। कांग्रेस नेता भूपेन्द्र अगम ने अपने ट्वीट में कहा है कि दयाचंद अहिरवार स्वयं आरक्षक हैं, लेकिन बारात निकालने के लिए उसे खुद पुलिस बुलानी पड़ी है। संकीर्णतावादी हौसले इसी सरकार में क्यों परवान चढ़ रहे हैं। दलित उत्पीड़न प्रदेश में रोज की बात है। यह अमृतकाल या दुर्गतकाल मामा।