मध्यप्रदेश सरकार ने दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर राज्य ने एम.पी. स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के बीच एक सहकारिता अनुबंध पर सहमति दी है। इस कदम का उद्देश्य न केवल दुग्ध उत्पादकों की आय दोगुनी करना है, बल्कि मध्यप्रदेश को देश की डेयरी कैपिटल के रूप में स्थापित करना भी है।
ग्राम स्तर पर बिछेगा डेयरी नेटवर्क
प्रदेश में हर ग्राम पंचायत में डेयरी कलेक्शन सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई गई है। यह नेटवर्क दुग्ध समितियों की संख्या को 6,000 से बढ़ाकर 9,000 करेगा, जिससे लगभग 18,000 गाँवों को कवर किया जा सकेगा। दुग्ध संकलन वर्तमान 10.5 लाख किलोग्राम प्रतिदिन से बढ़कर 20 लाख किलोग्राम प्रतिदिन तक पहुँच जाएगा।
सांची ब्रांड को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान
प्रदेश का लोकप्रिय ब्रांड ‘सांची’ अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी नई पहचान बनाएगा। एनडीडीबी के सहयोग से सांची ब्रांड का प्रचार-प्रसार बढ़ाया जाएगा। डेयरी प्लांट्स की प्रोसेसिंग क्षमता 18 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 30 लाख लीटर प्रतिदिन करने का लक्ष्य है। ब्रांड की मूल पहचान बरकरार रखते हुए इसे अधिक सशक्त बनाया जाएगा।
श्वेत क्रांति मिशन को नई ऊँचाई
प्रदेश सरकार ने डेयरी विकास में 2,500 करोड़ रुपये का निवेश करते हुए मिल्क कूलर, मिनी डेयरी प्लांट और चिलिंग सेंटरों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई है। यह श्वेत क्रांति मिशन को नई दिशा देगा और दुग्ध उत्पादकों को आर्थिक संबल प्रदान करेगा।
दुग्ध उत्पादकों के हितों का होगा संरक्षण
इस अनुबंध के अंतर्गत दुग्ध सहकारी समितियों के किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जाएगा। सरकार ने किसानों की शिकायतों के निवारण के लिए एक प्रभावी प्रणाली विकसित करने की योजना भी बनाई है। साथ ही, दुधारू पशुओं के रखरखाव और दुग्ध उत्पादन पर बोनस देने का निर्णय लिया गया है।
ग्राम विकास के लिए विशेष योजनाएँ
हर ब्लॉक में एक गाँव को ‘वृंदावन गाँव’ के रूप में विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि गौ-वंश संरक्षण और दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार विशेष योजनाओं पर काम कर रही है।
संपादकीय दृष्टिकोण:
मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि लाने का वादा करता है, बल्कि राज्य को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाने की मजबूत नींव भी रखता है। दुग्ध उत्पादकों की आय में बढ़ोतरी और सांची ब्रांड को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने की यह योजना निश्चित रूप से ग्रामीण भारत में एक नई क्रांति का सूत्रपात करेगी। सरकार का यह प्रयास, न केवल आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।
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