सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल: देवगुराडिया निवासी जगदीश बागड़ी (47) के जीवन में रविवार को फिर से उजाला आया, जब एक कैम्प में उनके दोनों हाथ और पैर (आर्टिफिशियल) फिट किए गए। जगदीश, जो पिछले साल एक हादसे में बुरी तरह झुलस गए थे और उनके दोनों हाथ और पैर काटने पड़े थे, अब एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े हो गए हैं।

कैसे हुआ हादसा?

पिछले साल जगदीश अपने परिवार के साथ इंदौर में काम कर रहे थे। एक दिन काम के दौरान, जब उन्होंने लोहे की सीढ़ी छत पर ले जाने की कोशिश की, तो वह सीढ़ी हाईटेंशन लाइन से टकरा गई, जिससे वे करंट की चपेट में आ गए। इस हादसे में उनके दोनों हाथ और पैर बुरी तरह झुलस गए। डॉक्टरों ने संक्रमण फैलने से रोकने के लिए उनके दोनों हाथ और पैरों को कोहनी और घुटनों के नीचे से काटने का फैसला किया।

एक साल का संघर्ष

हाथ-पैर खोने के बाद जगदीश का जीवन पूरी तरह से बिस्तर तक सीमित हो गया था। परिवार की जिम्मेदारियां उनके कंधों पर थीं, लेकिन वे कुछ भी करने में असमर्थ थे। पत्नी कुंती और बेटा संजू ने उनकी देखभाल की। बेटे ने काम शुरू किया, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ।

कुछ महीने बाद, जगदीश को पता चला कि उदयपुर की नारायण सेवा संस्थान इंदौर में ऐसे दिव्यांगों के लिए मुफ्त कृत्रिम अंग प्रदान कर रही है। संस्थान ने जगदीश का परीक्षण किया और उन्हें कृत्रिम अंग लगाने का फैसला किया।

नई जिंदगी की शुरुआत

रविवार को, जगदीश को कैम्प में आर्टिफिशियल हाथ-पैर लगाए गए और उन्हें प्रैक्टिस कराई गई। उन्होंने खुद चलकर कप उठाया और चाय पी। यह एक बड़ी उपलब्धि थी, क्योंकि हादसे के बाद यह पहली बार था जब जगदीश खुद चलकर घर लौटे। कैम्प में 750 से ज्यादा दिव्यांग आए थे, जिनमें से 400 से अधिक को कृत्रिम अंग लगाए गए और लगभग उतने ही लोगों को कैलिपर्स दिए गए।

जगदीश ने भावुक होकर कहा, “पहली बार माता-पिता ने मुझे जीवन दिया और अब दूसरी बार इस संस्थान ने मुझे जीवन दिया। मैं इन्हें भगवान के रूप में देखता हूं।”

इस घटना ने जगदीश को नई उम्मीद और आत्मविश्वास दिया है, और वे अब एक बार फिर सामान्य जीवन जीने की ओर अग्रसर हैं।