भारत में क्रिप्टोकरेंसी के अनियंत्रित विस्तार को लेकर सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी को केवल न्यायिक अवलोकन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। यह नीतिगत विफलता पर एक कठोर टिप्पणी है। जब कोर्ट कहता है कि बिटकॉइन ट्रेडिंग हवाला कारोबार का नया तरीका बन गई है, तो यह एक चेतावनी है, जो देश की आर्थिक और सुरक्षा व्यवस्था के लिए गहरी चिंता पैदा करती है।
1. सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी – क्यों मायने रखती है यह टिप्पणी?
कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में अफसोस जताया कि भारत में अब तक क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई स्पष्ट रेगुलेशन नहीं बना है। यह डिजिटल संपत्तियाँ किस तरह किसके द्वारा और किस उद्देश्य से ट्रांसफर हो रही हैं, इस पर कोई निगरानी नहीं है। यह स्थिति हवाला कारोबार जैसी अनियंत्रित अर्थव्यवस्था को जन्म दे सकती है, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है।
2. बिटकॉइन: तकनीक या खतरा?
बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की तकनीक ब्लॉकचेन आधारित पारदर्शिता का दावा करती है, लेकिन व्यवहार में इसकी अनामिता का उपयोग टैक्स चोरी, काले धन को वैध बनाने और विदेशी फंडिंग जैसे कार्यों के लिए किया जा रहा है। सरकार के पास इन लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड नहीं होता, जिससे पारंपरिक वित्तीय तंत्र कमजोर होता है।
3. सरकार की भूमिका: केवल टैक्स वसूलना पर्याप्त नहीं
2022 के बजट में क्रिप्टो पर 30% टैक्स और 1% TDS लागू किया गया, लेकिन यह केवल राजस्व की सोच थी, न कि नियामक ढांचे की। न तो RBI की स्पष्ट भूमिका तय की गई और न ही कोई कानूनी अधिनियम संसद से पारित हुआ। बिना रेगुलेशन के टैक्स लगाना केवल समस्या को वैधता देने जैसा है।
4. अंतरराष्ट्रीय संदर्भ: दुनिया कैसे निपट रही है इस चुनौती से?
अमेरिका, जापान, सिंगापुर और यूरोपीय संघ जैसे देश क्रिप्टोकरेंसी के लिए कठोर और पारदर्शी नियम बना चुके हैं। ये देश AML (Anti-Money Laundering) और KYC (Know Your Customer) के कड़े मानक लागू कर चुके हैं। भारत को भी ऐसी रूपरेखा तैयार करनी चाहिए, जो नवाचार और सुरक्षा दोनों के बीच संतुलन बनाए।
5. नीतिगत चूक का मूल्य कौन चुकाएगा?
अगर क्रिप्टो हवाला का नया रूप बनती जा रही है, तो इसका सीधा प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि पर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सरकार के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि समय रहते अगर कानून नहीं बना, तो यह तकनीक नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
निष्कर्ष में:
सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से भारत को चेताया है कि अब और विलंब न हो। एक स्पष्ट, तकनीकी रूप से सक्षम और पारदर्शी क्रिप्टो रेगुलेशन ढांचा समय की ज़रूरत है। इस समय जो अनियमितता चल रही है, वह न केवल देश की वित्तीय स्थिरता को खतरे में डालती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन सकती है। यह केवल डिजिटल संपत्ति नहीं, बल्कि नीति-निर्माण की परीक्षा है।
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