नई दिल्ली । यूक्रेन पर रुस के हमले की वजह से महज एक सप्ताह में ही इसकी कीमतों में 20 रुपए प्रति लीटर का इजाफा हो गया है। यूक्रेन सूर्यमुखी के तेल का प्रमुख उत्पादक है। भारत में वहां से अच्छी खासी मात्रा में सूर्यमुखी का तेल मंगाया जाता है। वहां से इस हालात में इसका आयात संभव नहीं है। कारोबारियों का कहना है कि अभी बाजार में मांग काफी ज्यादा बनी हुई है। इसका कारण अगले महीने होली का त्योहार है। स्थानीय बाजारों में 140 से 150 रुपए लीटर में बिक रहा सोयाबीन के तेल दाम 160 से 170 रुपए लीटर तक पहुंच गए हैं।
180 रुपए लीटर में बिकने वाला सूर्यमुखी तेल इन दिनों 200 रुपए लीटर के पार हो गया है। बाजार सूत्रों ने बताया कि यूक्रेन और रूस के युद्ध के बीच विदेशों में कच्चा पामतेल का दाम 2,000 डॉलर प्रति टन से ऊंचा हो गया है, जो रेकॉर्ड है। आयात करने पर सीपीओ का भाव 167.5 रुपए किलो होता है। जबकि पामोलीन का भाव आयात करने पर 177 रुपए किलो होता है। ऐसे में सवाल यह है कि इन महंगे दाम वाले तेलों को कौन खरीदेगा।
अर्जेन्टीना और ब्राजील से सोयाबीन डीगम तेल के मार्च की निर्यात खेप नहीं आ रही है। अप्रैल वाली निर्यात की खेप भेजी जा रही है, जो जून तक आने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि सीपीओ का भाव सोयाबीन से लगभग 200 डॉलर टन नीचे रहता था, वह सोयाबीन से लगभग 150 डॉलर अधिक कर दिया गया है। तभी तो देशी तेलों में सरसों, बिनौला ओर मूंगफली के तेल, आयातित तेलों से 10-12 रुपए किलो सस्ते हो गए हैं।