सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल:  26 जनवरी को संविधान निर्माण के 75 साल पूरे होने के अवसर पर शुक्रवार को लोकसभा में विशेष चर्चा शुरू हुई। चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जिन्होंने संविधान निर्माताओं का नाम लिया, लेकिन पंडित नेहरू का जिक्र नहीं किया। इस पर विपक्ष ने शेम-शेम के नारे लगाए।

राजनाथ सिंह का बयान

राजनाथ सिंह ने कहा,

“संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है। यह भारत के लोगों, उनके विचारों और मूल्यों का दस्तावेज है। हमने आपातकाल के काले दिनों में भी संविधान को चोट पहुंचाने की हर कोशिश का विरोध किया।”

उन्होंने यह भी कहा कि “संविधान स्वाधीनता संग्राम के हवनकुंड से निकला हुआ अमृत है।”

प्रियंका गांधी की पहली स्पीच

लोकसभा में अपनी पहली स्पीच में प्रियंका गांधी ने संविधान को “न्याय, एकता और अभिव्यक्ति की आजादी का कवच” बताया। उन्होंने कहा,

“संविधान हर भारतीय को न्याय का अधिकार और आवाज उठाने की ताकत देता है। यह देशवासियों को सरकार बनाने और बदलने का अधिकार देता है।”

प्रियंका ने हिंसा के पीड़ितों के उदाहरण देते हुए कहा कि संविधान ने ही उन्हें हिम्मत और संघर्ष का बल दिया।

हंगामा राज्यसभा में भी

राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच तीखी बहस हुई। धनखड़ ने कहा,

“मैंने बहुत सहा। मैं किसान का बेटा हूं, झुकता नहीं हूं। विपक्ष ने संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं।”

इसके जवाब में खड़गे ने कहा,

“आप हमारे नेताओं का अपमान करते हैं। आपका काम सदन चलाना है। आप किसान के बेटे हो, तो मैं मजदूर का बेटा हूं।”

प्रियंका के स्पीच के मुख्य अंश

संभल हिंसा का जिक्र:

प्रियंका ने संभल हिंसा में मारे गए दो बच्चों के पिता का जिक्र किया, जिन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना देखा था।

आगरा पुलिस हिंसा का जिक्र:

प्रियंका ने अरुण वाल्मीकि की मौत का जिक्र करते हुए कहा कि उनके परिवार को पीटा गया, लेकिन उन्होंने न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ी।

उन्नाव रेप पीड़िता:

प्रियंका ने कहा कि उन्नाव की रेप पीड़िता ने न्याय के लिए संघर्ष किया और अपने पिता को वादा किया कि वह लड़ाई नहीं छोड़ेगी।

संविधान का महत्व

प्रियंका गांधी ने संविधान को भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला बताते हुए कहा कि यह दस्तावेज न्याय, उम्मीद और अभिव्यक्ति की ज्योत जलाता है।

इस चर्चा ने संविधान और उसकी मूल भावना पर देशभर में नए सिरे से बहस छेड़ दी है।

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