भोपाल । कांग्रेस जिलों की नई कार्यकारिणी बनाने के लिए अब चुनाव आयोग का फॉर्मूला अपना रही है। वो अपने ऑब्जर्वर नियुक्त करेगी। यही ऑब्जर्वर अब नए पदाधिकारी चुनकर अपनी रिपोर्ट पीसीसी को भेजेंगे और फिर जिला कार्यकारिणी पर वहां अंतिम मुहर लगेगी।

प्रदेश की राजधानी भोपाल और इंदौर में कांग्रेस पिछले 1 साल में अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाई है। माना जा रहा है कांग्रेस को शहर और ग्रामीण इलाकों में काबिल नेता नहीं मिल पा रहे हैं इसलिए कार्यकारिणी बनने में देर हो रही है। इसलिए पार्टी ने अब नया फार्मूला निकाला है। वो अपने पदाधिकारी तय करने के लिए चुनाव आयोग की तर्ज पर ऑब्जर्वर नियुक्त करेगी जो पदाधिकारियों का चयन कर प्रदेश कांग्रेस को पैनल भेजेंगे।

1 साल में नहीं बन पाई कार्यकारिणी

पीसीसी चीफ कमलनाथ पार्टी में कसावट लाने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। वे इसके लिए पीसीसी दफ्तर में मीटिंग्स लेकर मैदानी इलाकों में पार्टी की गतिविधियों का जायजा भी ले रहे हैं। लेकिन प्रदेश के कई जिलों में उनकी पार्टी की कार्यकारिणी नहीं बन पा रही है। इसके पीछे पार्टी के बड़े नेताओं का हस्तक्षेप माना जा रहा है क्योंकि अपने समर्थकों के जरिए हर बड़ा नेता अपना हस्तक्षेप चाहता है। यही वजह है कि कमलनाथ ने अब ऑब्जर्वर के जरिए पदाधिकारियों को तय करने का फार्मूला निकाला है।

बड़े नेताओं की सिफारिश नहीं चलेगी

जैसे चुनाव के समय ऑब्जर्वर नियुक्त होते है उसी तरह स्थानीय कार्यकारिणी तय करने के लिए उन्हें नियुक्त किया जा रहा है जिसमें वे स्थानीय नेताओं के एक साल में किए कामों का लेखा जोखा देखेंगे। उनके किए कामों का ब्यौरा प्रदेश कार्यालय को भेजेंगे और उसके बाद उनकी भूमिका तय होगी ,ताकि किसी को कुछ कहने का मौका न मिले और पार्टी के बड़े नेता भी अपने समर्थकों के लिए सिफारिश न कर सकें।

कांग्रेस है कहां

कांग्रेस के आब्जर्वर नियुक्त करने के फैसले को लेकर भाजपा तंज कस रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कांग्रेस का संगठन बचा ही कहां है। इसलिए शहर और ग्रामीण इलाकों में उन्हें पदाधिकारी बनाने के लिए काबिल नेता तक नहीं मिल रहे हैं। उन्हें पदाधिकारी चुनने के लिए ऑब्जर्वर रखने पड़ रहे हैं। सौ साल से ज्यादा पुरानी पार्टी का हाल ये हो जाएगा लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था। उनकी पार्टी में लोकतंत्र नहीं है बल्कि परिवारवाद के दम पर पूरी पार्टी चल रही है। इस वजह से इतने बड़े दल का ये हश्र हो रहा है।

चुनाव की आहट

मप्र में जल्द ही लोकसभा की एक और विधानसभा की तीन सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इसके साथ ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की आहट भी सुनाई दे रही है। पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए शहर और जिला इकाइयों का गठन करना भी जरूरी है। यही वजह है कि कमलनाथ अब जिलों की कार्यकारिणी बनाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं जिससे संगठन का काम तेजी से हो सके।