सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने आज यहां निजी शिक्षण संस्थानों में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए कानून बनाने की पार्टी की मांग दोहराई।
जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि संविधान (93वां संशोधन) अधिनियम, 2005, 20 जनवरी, 2006 से प्रभावी हुआ। इस संशोधन के जरिये भारत के संविधान में अनुच्छेद 15(5) जोड़ा गया। इस प्रकार इस अनुच्छेद या अनुच्छेद 19 के खंड (1) के उपखंड (जी) की कोई बात राज्य को कानून द्वारा नागरिकों के किसी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग या अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए किसी विशेष प्रावधान को नहीं रोकेगी, जहां तक कि ऐसे विशेष प्रावधान उनके शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश से संबंधित हों, जिनमें निजी शैक्षिक संस्थान (राज्य द्वारा सहायता प्राप्त या बिना सहायता प्राप्त) भी शामिल हैं। हालांकि अनुच्छेद 30(1) में उल्लिखित अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों पर यह लागू नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम, 2006 संसद में पारित हुआ। केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक तथा शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के नागरिकों के लिए आरक्षण 3 जनवरी, 2007 से लागू हुआ। जयराम रमेश ने इस बात को रेखांकित किया कि सुप्रीम कोर्ट ने अशोक कुमार ठाकुर बनाम भारत संघ मामले में 10 अप्रैल 2008 को अनुच्छेद 15(5) को केवल राज्य द्वारा संचालित और राज्य से सहायता प्राप्त संस्थानों के लिए संवैधानिक रूप से वैध माना। निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों में आरक्षण को उचित ढंग से निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया गया। इसी तरह आईएनए बनाम भारत संघ मामले में 12 मई 2011 को 2-0 के अंतर से निर्णय दिया गया, जिसमें निजी गैर-सहायता प्राप्त गैर-अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए अनुच्छेद 15(5) को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया गया। प्रमति एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में 29 जनवरी 2014 को पांच न्यायाधीशों की बेंच ने 5-0 के अंतर से अनुच्छेद 15(5) को पहली बार स्पष्ट रूप से बरकरार रखा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका मतलब है कि प्राइवेट संस्थानों में भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े हुए नागरिकों के अन्य वर्गों के विद्यार्थियों के लिए आरक्षण संवैधानिक रूप से स्वीकार्य है। पिछले 11 वर्षों से अनुच्छेद 15(5) सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान्य है। अपने 2024 के लोकसभा चुनाव “न्याय पत्र” में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने निजी शिक्षण संस्थानों में भारत के संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए कानून लाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध दिखाया। उच्च शिक्षा विभाग के लिए अनुदान की मांग पर अपनी 364वीं रिपोर्ट में शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल पर द्विदलीय संसदीय स्थायी समिति ने भी अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए एक नए कानून की सिफारिश की। इस समय एक बार फिर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस मांग को दोहराती है।

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