सीएनएन सेंट्रल न्यूज़ एंड नेटवर्क–आईटीडीसी इंडिया ईप्रेस /आईटीडीसी न्यूज़ भोपाल : संत रविदास जयंती पर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के राजीव गांधी सभागार में कांग्रेसजनों ने संत रविदास के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर उनका पुण्य स्मरण किया।
संत रविदास के जीवन कृतित्व पर प्रकाश डालते हुये मप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने कहा कि संत रविदास मध्यकाल में एक भारतीय संत कवि सतगुरु थे। इन्हें संत शिरोमणि की उपाधि दी गई है। इन्होंने रविदासीया, पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं।
इन्होंने जात पात का घोर खंडन किया और जनमानस को आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा कि संत रविदास के विचारों का आशय यही है कि ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से प्राप्त होती है। अभिमान शून्य रहकर काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सफल रहता है। अभिमान तथा बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक आचरण करने वाला मनुष्य ही ईश्वर का भक्त हो सकता है।


उनकी वाणी भक्ति की सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओत-प्रोत होती थी। इसलिए उसका श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था। उनके भजनों तथा उपदेशों से लोगों को ऐसी शिक्षा मिलती थी जिससे उनकी शंकाओं का सन्तोषजनक समाधान हो जाता था और लोग स्वतः उनके अनुयायी बन जाते थे। रविदास जूते बनाने का काम किया करते थे औऱ ये उनका व्यवसाय था और वे अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे तथा समय से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे।
निदेशक नायक ने कहा कि लोगों का मानना है कि संत रविदास जी का कोई गुरु नहीं था। वे भारत की प्राचीन गौरवमयी बोद्ध परंपरा के अनुयायी थे और प्रच्छन्न बोद्ध थे इसका पता इनकी वाणी से चलता है। कुरीतियों और अज्ञानता के लिए आम जनमानस को धार्मिक अंधविश्वास और आडंबर से दूर रहने का संदेश दिया और कहा कि अगर मन पवित्र है तो गंगा में भी स्नान की आवश्यकता नहीं है। ”मन चंगा तो कठौती में गंगा’’ उनकी प्रसिद्ध उक्ति है। समयानुपालन की प्रवृति तथा मधुर व्यवहार के कारण उनके सम्पर्क में आने वाले लोग भी बहुत प्रसन्न रहते थे। साधु-सन्तों की सहायता करने में उनको विशेष आनन्द मिलता था। वे स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में एक ही परमेश्वर का गुणगान किया गया है।
मप्र कांग्रेस विचार विभाग के अध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने संत रविदास अपने व्यवसाय के बाद शेष समय ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे। उनके जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं से समय तथा वचन के पालन सम्बन्धी उनके गुणों का पता चलता है, उन्होंने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और सबको परस्पर मिलजुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया। विनम्रता तथा शिष्टता के गुणों का विकास करने पर उन्होंने बहुत बल दिया। संत रविदास के उपदेश समाज के कल्याण तथा उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं और इसी कारण आज भी लोग इन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं।
इस अवसर पर कांग्रेस पदाधिकारीगण सर्वश्री जे.पी. धनोपिया, जितेन्द्र मिश्रा, शहरयार खान, फरहाना खान, फरजाना खान, सीताशरण सूर्यवंशी, अभिषेक शर्मा, मुजाहिद सिद्वीकी सहित अन्य कांग्रेसजन उपस्थित थे।

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