कार्यक्रम की शुरुआत में सीएम ने कहा- यंग प्रोफेशनल्स डेवलपमेंट प्रोग्राम काे एक साल पूरा हुआ है। योजनाएं बनाना सरल है, लेकिन सिस्टम इतना बड़ा है कि पात्र लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना बड़ी चुनौती है। अफसरों की लापरवाही के कारण योजनाओं का लाभ सभी तक नहीं पहुंच पाता। कई बार वल्लभ भवन में जब हम समीक्षा करते हैं, तो बड़ी अच्छी पिक्चर दिखाई जाती है कि साहब की जय-जय हो रही है। जनता प्रसन्न है, लेकिन पता चला कि जमीन पर वो व्यवस्था पहुंच ही नहीं रही है, इसलिए मुझे लगा कि युवा ऊर्जा का उपयोग किया जाए।

सरकार गई, लेकिन मैं नहीं रुका
सीएम ने कहा- हमने 2017 में योजना बनाई थी। 2018 में सत्ता से बाहर हो गए। बाद में कोविड आया। फ्री होते ही हमने सोचा कि युवाओं को काम में लगा दिया जाए। कई बार मॉर्निंग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में इसी आधार पर अफसरों से पूछताछ कर लेता हूं। कहीं जरूरत पड़ती है, तो कार्रवाई भी कर देता हूं। सही व्यक्ति तक निश्चित समयसीमा में बिना लिए-दिए योजना का लाभ पहुंच जाए। इस योजना को और आगे ले जाना है।

युवाओं के सवाल, सीएम के जवाब

सवाल- यूथ पॉलिसी के पीछे क्या सोच है? युवाओं के विकास में इसका योगदान क्या है?
सीएम- युवाओं के लिए कई योजनाएं बनाने की कोशिश की। वो योजनाएं दफ्तर में बैठकर अफसरों के साथ नहीं बनाईं, बल्कि व्यावहारिक जीवन में जो तकलीफें देखीं, उसके अनुसार बनाईं। लाडली लक्ष्मी योजना का उदाहरण देना चाहता हूं। जब मैं छोटा था, तब मैंने ऐसे दृश्य देखे कि बेटी हुई, तो लोगों के चेहरे उतर जाते थे। जब दोनों ने एक कोख से जन्म लिया, तो भेदभाव कैसा। एक दिन किसी कार्यकम में मुझे मुख्य वक्ता के तौर पर खड़ा कर दिया। मैंने बोला- बेटी को आने दो। एक अम्मा उठकर बोलीं, बेटियों की शादी क्या तू करवाएगा? उस दिन मैंने सोच लिया कि ऐसे काम नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री बनने के बाद लाडली लक्ष्मी योजना बनाई। बेटियों के लिए साइकिल, फीस की व्यवस्था शुरू कराई।

12 जनवरी को लागू होगी यूथ पॉलिसी
सीएम ने कहा- वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए यूथ पॉलिसी बनाई जाएगी। 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती पर कार्यक्रम करेंगे। 13 जनवरी को बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर यूथ पॉलिसी लागू करेंगे। ये पॉलिसी मामा नहीं बनाएगा। आप लोग इसे बनाने में मदद करें। कई गोष्ठियां होंगी। सेमिनार होंगे। उनमें जो सुझाव आएंगे, उसके आधार पर सरकार यूथ पॉलिसी बनाएगी। उसमें जो प्रावधान होंगे, उन्हें जमीन पर उतारेंगे।

सवाल- आप प्रकृति प्रेमी हैं। पिताजी आपको डॉक्टर बनाना चाहते थे?
सीएम
- प्रकृति प्रेम गांव में नैसर्गिक होता है। एक खेल था हाथी-पाती, गांव के बाहर पेड़ होता था, उसमें नीम की पत्ती मंगाते थे। जब शरारत आने लगी, तो पीपल की पाती मंगाने लगते।
आज धरती के सामने संकट है। भविष्य में ये रहने लायक नहीं रहेगी। भाषण के बजाय ठोस काम किया जाए। 19 फरवरी 2021 को अमरकंटक से पत्नी के साथ पेड़ लगाने की शुरुआत की। मेरा कहना है कि जितनी ऑक्सीजन अपने लिए चाहिए, उतने पेड़ तो लगाएं।

पिताजी मुझे डॉक्टर बनाना चाहते थे। ‘मैं भोपाल में 7वीं में पढ़ता था। पहले गुजराती समाज स्कूल में पढ़ा, फिर सरकारी स्कूल में। हरवाहा और चरवाहा होते थे। हमारा चरवाहा बुजुर्ग था। मेरी दादी कह रही थीं, ठंड है सो जा। चरवाहा देर से आया। उसे डांट पड़ी। मुझे लगा कि ये अन्याय है। एक दिन लगा कि गांव के मजदूरों को ढाई पाई मिलती थी। उस समय अनाज दिया जाता था। मैंने कहा- मजदूरों को पांच पाई देनी चाहिए। उस समय मैंने गांव के मजदूरों को मंदिर पर इकट्‌ठा किया।

मैंने कहा- काम बंद कर दो। दूसरे दिन जुलूस तय हुआ। उस समय गांव में बिजली नहीं थी। पेट्रोमैक्स सिर पर रखकर जुलूस निकला। जैसे ही, जुलूस घर के सामने पहुंचा, चाचा लट्‌ठ लेकर निकले। उन्हें देखकर मजदूर भाग गए, मेरी धुनाई हुई। उस समय मेरे मन में आग जल गई। मुझे लगा- डॉक्टर बनकर क्या करेगा। मन में भाव पैदा हुआ फिर इमरजेंसी और न जाने क्या-क्या।

सवाल- बड़े स्तर पर युवाओं को सरकार से जोड़ने की पहल की गई है?
सीएम-
52 सीएम फैलो पर्याप्त नहीं हैं। पेसा एक्ट लागू किया। इसे जमीन पर उतारना, ट्रेनिंग देना, जागरूक करने के लिए लोगों की जरूरत है। सरकार अकेले ये सब नहीं कर सकती। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। कई बार गलत मानसिकता का कर्मचारी फंस गया, तो भेंट भी चढ़ानी पड़ती है। इसलिए सीएम जनसेवा अभियान चलाया। उसमें हर ग्राम पंचायत में शिविर लगेंगे। 17 सितंबर पीएम मोदी के जन्मदिन से 31 अक्टूबर तक 83 लाख लोग योजनाओं से जोड़े गए। ऐसी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए युवाओं को मित्र बनाया है।

सवाल- डिप्रेशन से निपटने का मंत्र क्या है?
सीएम-
व्यक्ति जैसा सोचता है, वैसा बन जाता है। आपने टारगेट फिक्स कर लिया, उसे कैसे पाएंगे, इसका रोडमैप बना लिया तो सफलता निश्चित है। 18-19 घंटे लगातार काम करता हूं। मैं नहीं थकूंगा, लेकिन ये होगा कैसे। आपके अंदर इच्छाशक्ति होती है, तो शरीर से वैसे रसायन निकलते हैं, जो क्षमता बढ़ाते हैं। अगर आपने खुद को दीन-हीन समझा। असंभव को संभव बनाने का संकल्प ले लिया। वैष्णो देवी, सलकनपुर के पहाड़ पर बच्चे हंसते हुए चढ़ जाते हैं, क्योंकि जब मन में ठान लिया, तो सब संभव है। कई बार काम करते हैं, सफलता नहीं मिलती तो फिर से प्रयास करो।

सरकार जाने के बाद मैं नहीं रुका
सीएम ने कहा- 2018 में हम सरकार नहीं बना पाए थे। बहुमत उनका भी नहीं था। लोगों ने मुझे कहा- गिव अप मत करो। मैंने कहा- मेरा जमीर अलाऊ नहीं करता। मैं घर से निकला और गर्वनर को इस्तीफा दिया। बाहर पत्रकारों ने पूछा, तो मैंने कहा- नाउ आई एम फ्री। उसके बाद झोला लेकर निकल पड़ा। मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में गया, तो वहां भी मामा के नारे लग रहे थे। गड़बड़ी हुई, तो धरने पर बैठ गया। मैंने कहा था- टाइगर अभी जिंदा है। डिप्रेशन में नहीं जाना। एक बात तुम्हें बताता हूं कि मनुष्य चाहे, तो ब्रह्मांड पर कमांड कर सकता है।

युवाओं से किया सीधा संवाद
सवाल-
नेशनल यूथ अवार्डी हिमांशु गुप्ता 2017 ने पूछा कि सरकार के साथ सुशासन लाने के लिए प्राइवेट संस्था की निगेटिव छवि बनाई जाती है।
सीएम- अकेली सरकार सब बेहतर नहीं कर सकती। समाज का सहयोग और अच्छा काम करने वाली संस्थाएं सहयोग करें, तो सब संभव है। सरकारी अस्पताल में यदि कोई संस्था आकर मदद करना चाहे, तो मौका देना चाहिए। कुछ लोग हल्ला मचाना शुरू कर देते हैँ। सरकार प्राइवेटाइजेशन कर रही है। मैं इसका पक्षधर हूं कि अच्छा काम करने वाली संस्थाओं की मदद लेनी चाहिए।

रसिंहपुर के नीरज पाटीदार ने पूछा कि सुशासन का बेंचमार्क क्या है?
सीएम – सुशासन का मतलब पात्र भाई-बहनों को बिना परेशानी समय सीमा में योजना का लाभ मिल जाए। ये सुशासन है। कानून व्यवस्था समेत कई पक्ष भी हैं, लेकिन योजनाओं की दृष्टि से ये सुशासन है। पीएम ने डीबीटी शुरू किया। एक जमाने में चेक बंटते थे। प्राकृतिक आपदाओं में पैसे लेकर नकद देने जाते थे। उसमें कुछ राशि रख लेते थे, फिर चेक देने लगे, उसमें भी कई बार पैसे लेने के बाद चेक देते। साइकिल वितरण की व्यवस्था में बच्चों के खातों में पैसे डालने लगे। मैंने देखा- साइकिल कम दिखने लगीं, बच्चों से पूछा तो बताया कि हमारे पापा ने कहीं और खर्च कर लिए। किसानों को सब्सिडी और बच्चों की साइकिल में हम दो जिलों में ई वाउचर शुरू कर रहे हैं।

दतिया की शायना कुरैशी ने पूछा- जमीनी स्तर पर काम कर रहे युवाओं को लाने का उद्देश्य क्या है?
सीएम: मैं नया मध्यप्रदेश गढ़ना चाहता हूं। आत्मनिर्भर मप्र के लिए कई संगठनों की जरूरत है। आज एक छत के नीचे 10 संगठन एकत्रित हुए हैं। एक-दूसरे से सीखा है। संस्थाओं को साथ मिलकर काम करना पड़ेगा। हमारे मन में ये नहीं है कि ये कार्यक्रम कर्मकांड बनकर रह जाए। नया मप्र बनाने में हमारा क्या उपयोग हो सकता है, इसके लिए सीएम मित्र और दूसरी योजनाएं बनाई हैं।

NSS के स्वयंसेवक देवांशु गौतम ने पूछा- छात्र जीवन में गैर राजनैतिक जीवन में प्रशासन के साथ कैसा अनुभव रहा?
सीएम: छात्र जीवन में हम क्रांतिकारी रहे। उस समय कई आंदोलन करते थे। अक्सर प्रशासन से मुकाबला ज्यादा हो जाता था। मैं एबीवीपी का कार्यकर्ता था। उसमें अभियान चलाया। गांव में कैम्प लगाकर जानकारियां जुटाते थे। उस समय प्रशासन का सहयोग मिलता था। हालांकि कुछ बुरे अनुभव भी रहे।

सीएम ने बताई भविष्य की योजनाएं

  • यंग प्रोफेशनल्स जन्मदिन पर पेड़ लगाएंगे।
  • स्कूल बस में जिस तरह से बेटी के साथ घटना हुई। समाज में समान आयु के बच्चे एक-दूसरे की इज्जत करें। ऐसा वातावरण बनाएंगे।
  • किसान और गरीब को फ्री बिजली के लिए 24 हजार करोड़ की सब्सिडी सरकार देती है, लेकिन कई बार लोग बिजली बर्बाद करते हैं। हम बिजली की बचत करने का संकल्प लें, तो 4 हजार करोड़ रुपए बचा सकते हैं। मैं सीएम हाउस में खुद स्विच ऑफ करता हूं।
  • नशा मुक्त समाज बनाने के लिए हुक्का लाउंज बंद करने का प्रस्ताव ला रहे हैं।।